सीटी बजाने
की
इच्छा रखने वालों की
चलो
पूरी हुई एक आस
पूरी हुई एक आस
बहुत लम्बे समय से
गले में
अटकी हुई थी
गले में
अटकी हुई थी
उनकी भी सुना है साँस
अब हर
विभाग में
किसी खास को
सीटी बजाने का काम देना
बहुत आसान हो जायेगा
पढ़ा लिखा कर उससे
किसी के खिलाफ सीटी
बजवाने का
आनंद भी चौगुना हो पायेगा
सीटियाँ बजेंगी
चारों तरफ से बहुत जोर शोर से
एक आम आदमी का ध्यान ही इन
आवाजों से बस उलझ जायेगा
काम होते रहेंगे
उसी तरह से
मिलबाँट कर भाईचारे के साथ
आजाद भारत में शुरु किये धँधों का
बाजार और भी चमकदार हो जायेगा
बाजार और भी चमकदार हो जायेगा
पहचान
गुप्त रखी जायेगी
सीटीबजाने वाले की
पास हुऐ बिल में बताया भी जा रहा है
सीटी बजाने वाला
बहुत सारे कमीशन
पाने का हकदार भी हो पायेगा
बहुत सारे कमीशन
पाने का हकदार भी हो पायेगा
सीटी बजाने वाले
मरा करते थे बहुत पहले से सुना है
अबकी बार सीटियाँ सुनने वाला ही
मार दिया जायेगा
मार दिया जायेगा
सीटियाँ
बहुत आसानी से
मिलने लगेंगी बाजार में
किसी मल्टीनेशनल के साथ
सीटियाँ बनाने का कारोबार
सीटियाँ बनाने का कारोबार
जल्दी सरकार द्वारा साझे में
शुरु भी करवा दिया जायेगा
शुरु भी करवा दिया जायेगा
सीटी बजाने वाले
ही मिलेंगे
ज्यादातर लोग आज के बाद
सीटी
नहीं रखने वाले को
अंदर करवा दिया जायेगा ।
चित्र साभार: https://www.gettyimages.in/
बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंकुछ बे -रोज़गारों को मिल जाएगा सीटी बजाने का काम ,सीटी बजाओ रोज़गार योजना का श्री गणेश करेंगे राजनीति के प्रखर धंधेबाज़ श्रीयोजना लालजी।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन ब्लॉग-बुलेटिन: एक रेट्रोस्पेक्टिव मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ब्लॉग-बुलेटिन: एक रेट्रोस्पेक्टिव
हटाएंhttps://bulletinofblog.blogspot.com/2014/02/blog-post_22.html
सिटी किस प्रकार बजाई जाए इसके भी संस्थान खुलेंगे क्या ,..........बहुत सुन्दर........
जवाब देंहटाएंबिना सीटी ध्यान ही नहीं जाता
जवाब देंहटाएंसीटियों की आदत इतनी गहरी पैठ गई है
धारदार है!! बजाते रहो!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (24-02-2014) को "खूबसूरत सफ़र" (चर्चा मंच-1533) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हर विषय पर तत्काल कविता लिखना कोई आपसे सीखे।..अच्छा लगा व्यंग्य।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 18 सितंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंतरह-तरह की सीटियां हैं ! तरह तरह के मतलब हैं ! कभी बुलाने, कभी रिझाने, कभी बहलाने और कभी चेताने के काम आती रहती हैं
जवाब देंहटाएं