सच कड़वा
होता है
निगला
नहीं जाता है
गांंधी के
मर जाने से
क्या हो जाता है
गांंधीवाद क्या
उसके साथ में
चला जाता है
उसका
सिखाया गया
सत्य का प्रयोग
जब किया जाता है
तो बबाल हो गया
करके क्यों बताया
और
दिखाया जाता है
बहुत बहुत
शाबाशी
का काम
किया जाता है
जब जैसा मन में
होता है वैसा कर
लेने की हिम्मत
कोई कर ले जाता है
उस के लिये
एक उदाहरण
हो जाता है
जो सोचता
वहीं पर है
पर करने
को कहीं
पीछे गली में
चला जाता है
सारे देश में
जब हर जगह
कुछ माहौल
एक जैसा
हो जाता है
ऐसे में कहीं
किसी जगह से
निकल कर
कुछ बाहर
आ ही जाता है
सच बहुत
दिनों तक
छिपाया
नहीं जाता है
मिर्चा पाउडर का
प्रयोग तो आँसू
लाने के लिये
किया जाता है
देश का दर्द
बाहर ला
कर दिखाने
के लिये कुछ
तो करना ही
पड़ जाता है
संविधान में ही
इस सब
की व्यवस्था
कर लेने में
किसकी
जेब से
पता नहीं
क्या चला
जाता है
जैसा माहौल
सारे देश में
अंदर ही अंदर
छुपा छुपा के
हर दिल में
पाला जाता है
उसे किसी
के बाहर
ला कर
सच्चाई से
दिखा देने
पर क्यों
इतना बबाल
हो जाता है
भारत रत्न
ऐसे ही
लोगों को
देकर
कलयुगी
गांंधी का
अवतार
क्यों नहीं
कह दिया
जाता है
अगर
नहीं हो पा
रहा होता है
इस तरह का
किसी से कहीं
कुछ
सीखने सिखाने
के लिये मास्टर के
पास क्यों नहीं
भेज दिया जाता है
हाथ पैर
चलाये बिना
जिसको बहुत कुछ
करवा देने का
अनुभव होता है
जब ऐसा माना
ही जाता है ।
होता है
निगला
नहीं जाता है
गांंधी के
मर जाने से
क्या हो जाता है
गांंधीवाद क्या
उसके साथ में
चला जाता है
उसका
सिखाया गया
सत्य का प्रयोग
जब किया जाता है
तो बबाल हो गया
करके क्यों बताया
और
दिखाया जाता है
बहुत बहुत
शाबाशी
का काम
किया जाता है
जब जैसा मन में
होता है वैसा कर
लेने की हिम्मत
कोई कर ले जाता है
उस के लिये
एक उदाहरण
हो जाता है
जो सोचता
वहीं पर है
पर करने
को कहीं
पीछे गली में
चला जाता है
सारे देश में
जब हर जगह
कुछ माहौल
एक जैसा
हो जाता है
ऐसे में कहीं
किसी जगह से
निकल कर
कुछ बाहर
आ ही जाता है
सच बहुत
दिनों तक
छिपाया
नहीं जाता है
मिर्चा पाउडर का
प्रयोग तो आँसू
लाने के लिये
किया जाता है
देश का दर्द
बाहर ला
कर दिखाने
के लिये कुछ
तो करना ही
पड़ जाता है
संविधान में ही
इस सब
की व्यवस्था
कर लेने में
किसकी
जेब से
पता नहीं
क्या चला
जाता है
जैसा माहौल
सारे देश में
अंदर ही अंदर
छुपा छुपा के
हर दिल में
पाला जाता है
उसे किसी
के बाहर
ला कर
सच्चाई से
दिखा देने
पर क्यों
इतना बबाल
हो जाता है
भारत रत्न
ऐसे ही
लोगों को
देकर
कलयुगी
गांंधी का
अवतार
क्यों नहीं
कह दिया
जाता है
अगर
नहीं हो पा
रहा होता है
इस तरह का
किसी से कहीं
कुछ
सीखने सिखाने
के लिये मास्टर के
पास क्यों नहीं
भेज दिया जाता है
हाथ पैर
चलाये बिना
जिसको बहुत कुछ
करवा देने का
अनुभव होता है
जब ऐसा माना
ही जाता है ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार (15-02-2014) को "शजर पर एक ही पत्ता बचा है" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1524 में "अद्यतन लिंक" पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
अलविदा प्रेमदिवस।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंमंगलवार 18/02/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंआप भी एक नज़र देखें
धन्यवाद .... आभार ....