अब अगर कोई
आम चोर रहा हो
और दूसरा उसे
देखते हुऐ भी
कुछ भी नहीं
कह रहा हो
हो सकता है
उसकी नजर
सेबों पर हो
सेबों के गायब
होते समय
आम खाने वाला
चुप हो जायेगा
उस समय भी तू
मामले को उठा कर
उसका पोस्ट मार्टम
करना शुरु हो जायेगा
पता नहीं क्या क्या
फितूर उठा उठा
के ले आता है
फिर कभी इधर
कभी उधर जा
कर बताता है
इस जमीन पर भी
तेरे जैसे और
कितने तरह के
जोकर पैदा हो जाते हैं
खुद तो कुछ नहीं
कर पाते हैं और
दूसरों के करने पर
पता नहीं क्यों
फाल्तू में खौराते हैं
अब कोई आम चोरे
कोई सेब चोरे
कोई ना चोरे
इस सब को
लिखने दिखाने
के लिये तेरे जैसे ही
यहाँ चले आते हैं
अपने धंधों की बात
तुझ जैसे ही लोग
लोगों को बताते हैं
किसी को भी
नहीं देखा जाता
अपनी पोल पट्टी
सभी यहाँ आने से
पहले सँभाल के
कहीं जरूर आते हैं
कहीं भी कुछ
कर के आते हैं
यहाँ पर्देदारी की
इज्जत पूरी बनाते हैं
पता नहीं तेरे
जैसे लोग भजन
वजन में ध्यान
क्यों नहीं लगाते हैं
लोग पूजा पाठ
भी करते हैं
भागवत सागवत
भी करवाते हैं
पंडाल लगवाते हैं
और मैय्या मोरी
मैं नहीं माखन खायो
गाना जरूर बजवाते है
समझाते हैं चोरी करना
जब भगवान कृष्ण ही
नहीं छोड़ पाते हैं
तो तेरे जैसे के
कहने सुनने पर
कौन बेवकूफ लोग हैं
जो ध्यान लगाते हैं ।
आम चोर रहा हो
और दूसरा उसे
देखते हुऐ भी
कुछ भी नहीं
कह रहा हो
हो सकता है
उसकी नजर
सेबों पर हो
सेबों के गायब
होते समय
आम खाने वाला
चुप हो जायेगा
उस समय भी तू
मामले को उठा कर
उसका पोस्ट मार्टम
करना शुरु हो जायेगा
पता नहीं क्या क्या
फितूर उठा उठा
के ले आता है
फिर कभी इधर
कभी उधर जा
कर बताता है
इस जमीन पर भी
तेरे जैसे और
कितने तरह के
जोकर पैदा हो जाते हैं
खुद तो कुछ नहीं
कर पाते हैं और
दूसरों के करने पर
पता नहीं क्यों
फाल्तू में खौराते हैं
अब कोई आम चोरे
कोई सेब चोरे
कोई ना चोरे
इस सब को
लिखने दिखाने
के लिये तेरे जैसे ही
यहाँ चले आते हैं
अपने धंधों की बात
तुझ जैसे ही लोग
लोगों को बताते हैं
किसी को भी
नहीं देखा जाता
अपनी पोल पट्टी
सभी यहाँ आने से
पहले सँभाल के
कहीं जरूर आते हैं
कहीं भी कुछ
कर के आते हैं
यहाँ पर्देदारी की
इज्जत पूरी बनाते हैं
पता नहीं तेरे
जैसे लोग भजन
वजन में ध्यान
क्यों नहीं लगाते हैं
लोग पूजा पाठ
भी करते हैं
भागवत सागवत
भी करवाते हैं
पंडाल लगवाते हैं
और मैय्या मोरी
मैं नहीं माखन खायो
गाना जरूर बजवाते है
समझाते हैं चोरी करना
जब भगवान कृष्ण ही
नहीं छोड़ पाते हैं
तो तेरे जैसे के
कहने सुनने पर
कौन बेवकूफ लोग हैं
जो ध्यान लगाते हैं ।
वाह...बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंvery fine and reasonable representation.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (11-02-2014) को "साथी व्यस्त हैं तो क्या हुआ?" (चर्चा मंच-1520) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
बसंतपंचमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'