लिख देना किसी के
पढ़ने के लिये ही
नहीं होता है
पढ़ने वालों को
अच्छी तरह से
ये पता होता है
बहुत भीड़ होती है
बहुत सी जगहों पर
सब होता है वहाँ
अपना ही बस
पता नहीं होता है
बगल में होता है
जब तक कि
छूना होता है
छू लेता है
महसूस भी होता है
हटता है जाकर
बस दो गज
की दूरी कहीं
मीलों दूर का
पता उसी जगह पर
कहीं लिखा होता है
गहराई लिये बहुत
कुछ दिखाई देता है
खुद के अंदर ही
कहीं डूबने का
इंतजाम होता है
पता देता है जरूर
हमेशा एक नया
हर बार एक नये
दुश्मन के ठिकाने
का मगर देता है
मयखाने में शराब हो
इतना जरूरी नहीं
साकी का गिलास
खाली भी होता
तो बहुत होता है
सब कुछ बिकता है
हर चीज बाजारी है
कोई पैसे से
कोई बस बिकने
के लिये भी कहीं भी
किसी भी तरह
से बिकता है
खरीददार हर कोई है
इस बाजार में
कोई दे कर
खरीद लेता है
कोई ले कर
खरीद देता है
बहुत देख ली
पढ़ने के लिये ही
नहीं होता है
पढ़ने वालों को
अच्छी तरह से
ये पता होता है
बहुत भीड़ होती है
बहुत सी जगहों पर
सब होता है वहाँ
अपना ही बस
पता नहीं होता है
बगल में होता है
जब तक कि
छूना होता है
छू लेता है
महसूस भी होता है
हटता है जाकर
बस दो गज
की दूरी कहीं
मीलों दूर का
पता उसी जगह पर
कहीं लिखा होता है
गहराई लिये बहुत
कुछ दिखाई देता है
खुद के अंदर ही
कहीं डूबने का
इंतजाम होता है
पता देता है जरूर
हमेशा एक नया
हर बार एक नये
दुश्मन के ठिकाने
का मगर देता है
मयखाने में शराब हो
इतना जरूरी नहीं
साकी का गिलास
खाली भी होता
तो बहुत होता है
सब कुछ बिकता है
हर चीज बाजारी है
कोई पैसे से
कोई बस बिकने
के लिये भी कहीं भी
किसी भी तरह
से बिकता है
खरीददार हर कोई है
इस बाजार में
कोई दे कर
खरीद लेता है
कोई ले कर
खरीद देता है
बहुत देख ली
हो दुनियाँ जिसने
उसके लिये कफन
से अजीज कोई
और नहीं होता है
बहुत सा गोबर
होता है दिमाग
में भी ‘उलूक’
भैंस पालना
इतना जरूरी
नहीं होता है।
उसके लिये कफन
से अजीज कोई
और नहीं होता है
बहुत सा गोबर
होता है दिमाग
में भी ‘उलूक’
भैंस पालना
इतना जरूरी
नहीं होता है।
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 27-02-2014 को चर्चा मंच पर दिया गया है
जवाब देंहटाएंआभार |
बहुत सा गोबर
जवाब देंहटाएंहोता है दिमाग
में भी ‘उल्लूक’
भैंस पालना
इतना जरूरी
नहीं होता है।....बहुत खूब ......
क्या कहने सार्थक सटीक रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
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