प्रकृति के
सुन्दर भावों
और दृश्यों पर
बहुत कुछ
लिखते है लोग
लिखा हुआ
पढ़ना भी
चाहते हैं
पर
दुनिया में
कितने प्रकार
के होते हैं
लोगो के प्रकार
बस ये ही
भूल जाते हैं
अपेक्षाओं का
क्या किया जाये
कब किसकी
किससे क्या
हो जाती हैं
दुनियाँ बड़ी
गजब की है
चींंटी भी एक
हाथी की सूंड में
घुस कर उसे
मार ले जाती है
अब
कौन कुत्ता
किस प्रकार
का कुत्ता
हो जाता है
कुत्ता पालने
के समय
किसी से
कहाँ सोचा
जाता है
बहुत से लोग
कुत्तों को
पसँद नहीं
करते हैं
फिर भी
एक कुत्ता
होना ही
चाहिये की
चाह जरूर
रखते हैं
इसलिये
सोच लेते हैं
अपनी सोच में
एक कुत्ते को
और
पालना शुरु
हो जाते हैं
सब कुछ
क्योंकि
सोच में ही
चल रहा
होता है
कोई जंजीर
या
पट्टे से उसे
बांध नहीं
पाते हैं
बस यहीं से
अपेक्षाओं
के महल
का निर्माण
करना शुरु
हो जाते हैं
पालतू
बन कर
कुत्ता
जो पल
रहा होता है
उसे कुछ
भी नहीं
बताते है
सुन्दर भावों
और दृश्यों पर
बहुत कुछ
लिखते है लोग
लिखा हुआ
पढ़ना भी
चाहते हैं
पर
दुनिया में
कितने प्रकार
के होते हैं
लोगो के प्रकार
बस ये ही
भूल जाते हैं
अपेक्षाओं का
क्या किया जाये
कब किसकी
किससे क्या
हो जाती हैं
दुनियाँ बड़ी
गजब की है
चींंटी भी एक
हाथी की सूंड में
घुस कर उसे
मार ले जाती है
अब
कौन कुत्ता
किस प्रकार
का कुत्ता
हो जाता है
कुत्ता पालने
के समय
किसी से
कहाँ सोचा
जाता है
बहुत से लोग
कुत्तों को
पसँद नहीं
करते हैं
फिर भी
एक कुत्ता
होना ही
चाहिये की
चाह जरूर
रखते हैं
इसलिये
सोच लेते हैं
अपनी सोच में
एक कुत्ते को
और
पालना शुरु
हो जाते हैं
सब कुछ
क्योंकि
सोच में ही
चल रहा
होता है
कोई जंजीर
या
पट्टे से उसे
बांध नहीं
पाते हैं
बस यहीं से
अपेक्षाओं
के महल
का निर्माण
करना शुरु
हो जाते हैं
पालतू
बन कर
कुत्ता
जो पल
रहा होता है
उसे कुछ
भी नहीं
बताते है
ऐसे में
कैसे उससे
वफादारी
की उम्मीद
पालने वाले
लोग सोचते
सोचते ही
कर ले जाते हैं
सोच में
ही अपनी
अपने किसी
दुश्मन को
काटता हुआ
देखने का
सपना
एक नहीं
कई देख
ले जाते हैं
टूटता है
बुरी तरह
कभी
इसी तरह
अपेक्षाओं
का पहाड़
जब उसी
पाले हुऐ
कुत्ते को
दुश्मन
के साथ
खुद की
ओर भौंकता
हुआ पाते हैं
बस
भौंचक्के
होकर
सोचते ही
रह जाते है
आदत
फिर भी
नहीं छूटती है
एक दूसरा
कुत्ता फिर से
अपनी सोच
में ले ही आते हैं !
उम्दा प्रस्तुति ...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST-: बसंत ने अभी रूप संवारा नहीं है
अच्छा लेख..
जवाब देंहटाएंआपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (07.02.2014) को "सर्दी गयी वसंत आया" (चर्चा मंच-1515) पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है,धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंहर बात हर जगह कही जाये
जवाब देंहटाएंतो अपने मायने खो देती है
हर बात हर कोई समझ भी नहीं सकता
हर बात की चिंदियाँ उड़ाने में एक क्षण नहीं लगता
हर बात हर किसी के योग्य भी नहीं होती ....
तमाशे और बात में फर्क होता है
बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसही कहा.
जवाब देंहटाएं