पता नहीं चला
होते होते
कब हो गये
एक दो करते
सात सौ
करीने से
लगे हुऐ पन्ने
एक के
बाद एक
बहुत सी
बिखरी
दास्तानों के
अपने ही
बही खातों
से लाकर
यहाँ बिखराते
बिखराते
बिखरे
या सम्भले
किसे मालूम
पर कारवाँ बन
गया एक जरूर
सलीके दार
पन्नों का
सुबह से
शुरु हुआ
बिना थके
चलने में
लगा हुआ
शाम ढलने
की चिंता
को कहीं
मीलों पीछे
छोड़कर
जिंदगी
की किताबों
के पुस्तकालय
में पड़ी हुई
धूल भरी
बिखरी हुई
किताबों के
जखीरे
बनाता हुआ
जिसे कभी
जरूरत
नहीं पड़ेगी
पलटने की
खुद तुझे ‘उलूक’
जिसे
अभी मीलों
चलना है
बहुत कुछ
बिखरते हुऐ
को यहाँ ला कर
बिखेरने के लिये
कल परसों
और बरसों
यहाँ इस
जगह पर
सात सौ से
सात हजार के
सफर में
बस इस
उम्मीद
के साथ
कि बहुत
कुछ बदलेगा
बहुतों के लिये
और बहुत कुछ
बिखरेगा भी
तेरे यहाँ ला कर
बिखेरने के लिये ।
होते होते
कब हो गये
एक दो करते
सात सौ
करीने से
लगे हुऐ पन्ने
एक के
बाद एक
बहुत सी
बिखरी
दास्तानों के
अपने ही
बही खातों
से लाकर
यहाँ बिखराते
बिखराते
बिखरे
या सम्भले
किसे मालूम
पर कारवाँ बन
गया एक जरूर
सलीके दार
पन्नों का
सुबह से
शुरु हुआ
बिना थके
चलने में
लगा हुआ
शाम ढलने
की चिंता
को कहीं
मीलों पीछे
छोड़कर
जिंदगी
की किताबों
के पुस्तकालय
में पड़ी हुई
धूल भरी
बिखरी हुई
किताबों के
जखीरे
बनाता हुआ
जिसे कभी
जरूरत
नहीं पड़ेगी
पलटने की
खुद तुझे ‘उलूक’
जिसे
अभी मीलों
चलना है
बहुत कुछ
बिखरते हुऐ
को यहाँ ला कर
बिखेरने के लिये
कल परसों
और बरसों
यहाँ इस
जगह पर
सात सौ से
सात हजार के
सफर में
बस इस
उम्मीद
के साथ
कि बहुत
कुछ बदलेगा
बहुतों के लिये
और बहुत कुछ
बिखरेगा भी
तेरे यहाँ ला कर
बिखेरने के लिये ।
शुभ प्रभात भाई सुशील जी
जवाब देंहटाएंढेरो बधाइयाँ 700 वीं पोस्ट के लिये....
आपकी लिखी रचना शनिवार 21 जून 2014 को लिंक की जाएगी...............
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
यशोदा जी आपका दिल से बहुत बहुत आभार :)
हटाएंबढिया लेखन , ७०० पोस्ट की बधाईयाँ , सर धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H - ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
आभारी हूँ आशीष ।
हटाएंबहुत बधाई, आपके कारण हम कुछ सीख जायेंगे आशा है पढ़ना आंदोलित करता है |
जवाब देंहटाएंजानू जी साथ साथ सीखते हैं मैं भी अभी सीख ही रहा हूँ आभार आपकी टिप्प्णी के लिये ।
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबधायी हो उलूक टाइम्स को और आपको 700वें पन्ने की हार्दिक शुभकामनाएँ।
--
आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (21-06-2014) को "ख्वाहिश .... रचना - रच ना" (चर्चा मंच 1650) पर भी होगी!
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
आभार आदरणीय शास्त्री जी आपके दिये हौसले का असर है ।
हटाएं700 वीं पोस्ट के लिये ढेरो बधाइयाँ सुशील जी
जवाब देंहटाएंआभार संजय ।
हटाएंबधाई एवं शुभकामनाएँ ! आ. जोशी जी.
जवाब देंहटाएंआभार राजीव आज बहुत दिनों के बाद दिखे :)
हटाएंबढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार ओंकार जी ।
हटाएं700वीं पोस्ट हेतु बहत-बहुत हार्दिक बधाई!
जवाब देंहटाएंआभार कविता जी ।
हटाएंबहुत ही सुन्दर, ७०० वीं रचना के लिए बधाई आपको\
जवाब देंहटाएंआभार स्मिता ।
हटाएंबेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंबधाई हो आपको
आभार अनुषा ।
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