एक जमघट
के लट्टू का
निकल कर
कुछ दिन
किसी और जगह
दूसरे जमघट में
जा कर घूम लेना
देख लेना एक नई
भीड़ के तौर तरीके
अच्छा होता है
कुछ देर के
लिये ही सही
लट्टू को जैसे कुछ
फुरसत मिल जाती है
सोचने से नहीं
घूमने से
वैसे भी लट्टू कुछ
नहीं सोचता है
यहाँ होता है या
वहाँ होता है
लट्टू बने होते हैं
बस और बस
घूमने के लिये
रुके हुऐ लट्टू
अच्छे नहीं लगते
लट्टू को घूमते देखना
लट्टुओं को बहुत
पसंद आता है
लट्टू घूमता रहे
सामने सामने
पता रहता है
किधर से घूमता हुआ
किधर चला जाता है
परेशानी तब शुरु होती है
जब एक भीड़ के लिये
नाचने वाला लट्टू
कुछ देर के लिये
आँखों से ओझल
हो जाता है
बैचेनी शुरु होती है
बढ़ती है और
रहा नहीं जाता है
लट्टुओं को बहुत
राहत मिलती है
लट्टू जब लौट
कर आता है
अपने पुराने
लट्टुओं के बीच और
घूमना शुरु हो जाता है
जैसे हमेशा घूमता है
लट्टु लट्टुओं के लिये
रोज के अपने
जाने पहचाने
लट्टुओं के बीच ।
के लट्टू का
निकल कर
कुछ दिन
किसी और जगह
दूसरे जमघट में
जा कर घूम लेना
देख लेना एक नई
भीड़ के तौर तरीके
अच्छा होता है
कुछ देर के
लिये ही सही
लट्टू को जैसे कुछ
फुरसत मिल जाती है
सोचने से नहीं
घूमने से
वैसे भी लट्टू कुछ
नहीं सोचता है
यहाँ होता है या
वहाँ होता है
लट्टू बने होते हैं
बस और बस
घूमने के लिये
रुके हुऐ लट्टू
अच्छे नहीं लगते
लट्टू को घूमते देखना
लट्टुओं को बहुत
पसंद आता है
लट्टू घूमता रहे
सामने सामने
पता रहता है
किधर से घूमता हुआ
किधर चला जाता है
परेशानी तब शुरु होती है
जब एक भीड़ के लिये
नाचने वाला लट्टू
कुछ देर के लिये
आँखों से ओझल
हो जाता है
बैचेनी शुरु होती है
बढ़ती है और
रहा नहीं जाता है
लट्टुओं को बहुत
राहत मिलती है
लट्टू जब लौट
कर आता है
अपने पुराने
लट्टुओं के बीच और
घूमना शुरु हो जाता है
जैसे हमेशा घूमता है
लट्टु लट्टुओं के लिये
रोज के अपने
जाने पहचाने
लट्टुओं के बीच ।
बढ़िया लेखन , सर धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
लट्टुओं के बीच और
जवाब देंहटाएंघूमना शुरु हो जाता है
जैसे हमेशा घूमता है
लट्टु लट्टुओं के लिये
रोज के अपने
जाने पहचाने
लट्टुओं के बीच ।
……
अपनी परिधि से बाहर घूमना सीखा ही नहीं उसने स्वार्थी इंसानों तरह ....मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक
बहुत बढ़िया
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (09-06-2014) को "यह किसका प्रेम है बोलो" (चर्चा मंच-1638) पर भी होगी!
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
सुन्दर -
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय-
राहत मिलती है
जवाब देंहटाएंलट्टू जब लौट
कर आता है
अपने पुराने
लट्टुओं के बीच और
घूमना शुरु हो जाता है
अपनी सीमाओं में रहना हर किसी को खुशनुमां बनाता है,सुन्दर अभिव्यक्ति