उलूक टाइम्स: कुछ कहने के लिये बस कुछ कह लेना है

शुक्रवार, 6 जून 2014

कुछ कहने के लिये बस कुछ कह लेना है

जो होना है
वो तो
होना है
होगा ही
होने देना है

किसी से
कहने से
कुछ होगा
किसे इस पर
कुछ पता
होना है

उनकी यादों
की यादों
को सोने
ही देना है

सपने किसी
के आते भी हों
तो आने देना है

बस कुछ दिनों
की बात और है
रुके रहना है

रोने वाले की
आदत होती है
रोने की उसे
रोने देना है

जिसके हाथों
में होती है
हमेशा खुजली
बस उसी
के हाथ में
हथौड़ा
ला कर
दे देना है

खोदने वालों
को मिल
चुका है
बहुत खोदने
का काम

अब किसी
और को
नहीं देना है

अन्दर की बात
को 
अन्दर
ही रहने देना है

बाहर के तमाशे
करने वालों को
करते रहने का
इशारा देना है

बहुत कुछ
हो रहा है
बहुत कुछ
अभी
होना ही
होना है

‘उलूक’
रोता
कलपता
ही अच्छा
लगता है
हँसने के
दिन आने में
अभी महीना है ।

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (07-06-2014) को ""लेखक बेचारा क्या करे?" (चर्चा मंच-1636) पर भी होगी!
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  2. कल 08/जून/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद !

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