उलूक टाइम्स: जरूरी है जिंदा ना रहे बौद्धिकता

शनिवार, 21 दिसंबर 2019

जरूरी है जिंदा ना रहे बौद्धिकता


क्या
परेशानी है
किसी को

अगर
कोई

अपने
हिसाब
का
सवेरा

अपने
समय
के
हिसाब से

करवाने
का

दुस्साहस
करता है

उनींदे
सूरज को

गिरेबान खींच

ला
कर
रख देना

अपनी
सोच की
दिशा के
छोर पर

और
थमा देना

उसके
हाथ में

अपने
बहुमत से
निर्धारित
किया गया

उसके
समय का
सरकारी आदेश

उसके
चमकने का कोण

और
ताकत

उसे बता कर

समय से पहले
पौंधे
पर

पैदा हो गयी
कली की
पंखुड़ियों
को

आदेशित
कर
खुल लेने
का

और

तुरंत
बन जाने
के लिये

एक फूल

किसी के
हिसाब
का

समय से पहले
पैदा
हुऐ बच्चे
को

मैराथन
में दौड़ लेने

या
उनके

उड़ने
की
कल्पना
 बेचने की

बिना पंखों के

सब संभव है

बस
बैठा दीजिये

हर
सुखा दिये गये
जवान पेड़
की
फुनगी पर

एक कबूतर

एक निशान
लगा हुआ
एक रंग
की
एक या दो लाईन का

जरूरी है
कबूतर ने
उजाड़ी हो
कोई एक
फलती फूलती डाल

जिसके हों
 कहीं ना कहीं
उसके चेहरे पे
निशान
बौद्धिकता 
जिंदा
ना रहे

ठानकर

मरे
ना भी

तो 
भी
घिसटती रहे

ताउम्र

जिसे
देखते रहें

लाईन पड़े
कबूतर

अट्टहास
करते हुऐ

‘उलूक’
जरूरी है

अंधों
का
रजिस्टर
बनना भी

जो
रात में
देख लेते हैं
ऊल जलूल

तेरी तरह।

चित्र साभार: 

13 टिप्‍पणियां:

  1. सर आपकी यह रचना काव्यात्मक दृष्टिकोण को से बेहद उत्कृष्ट है अलहदा बिंब पढ़कर बहुत अच्छा लग रहा।
    खासकर ये पंक्तियाँ..

    उनींदे
    सूरज को
    गिरेबान खींच

    रचना में निहित संदेश हमेशा की तरह लाज़वाब है।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  2. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (23-12-2019) को "थोड़ी सी है जिन्दगी" (चर्चा अंक 3558 ) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं…
    *****
    रवीन्द्र सिंह यादव




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  3. मारा तू जाएगा, साहब के हाथ,
    कबिरा क्या पाएगा, बहुमत का साथ !
    नादानी करना तू अब तो छोड़ दे --------

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  4. "ना कविता लिखता हूँ ना कोई छंद लिखता हूँ" ☺️

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  5. नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 26 दिसंबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    1623...फ़ज़ाओं में दहशत की बू हो और आप प्यार की बातें करेंगे?

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  6. व्वाहहहह
    बेहतरीन कटाक्ष..
    सादर नमन..

    जवाब देंहटाएं
  7. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(२३-०५-२०२०) को 'बादल से विनती' (चर्चा अंक-३७१०) पर भी होगी
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
    महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    **
    अनीता सैनी

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  8. बौद्धिकता
    जिंदा
    ना रहे
    ठानकर
    मरे
    ना भी
    तो भी
    घिसटती रहे
    ताउम्र
    वाह!!!
    अद्भुत लाजवाब।

    जवाब देंहटाएं
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