उलूक टाइम्स: इजहार
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मंगलवार, 23 अक्टूबर 2018

जितनी जोर की टर्र टर्र करेगा टर्राना उतनी दूर से दिखेगा बात है बस ताड़ कर निशाना लगाने की

उदघोषणा जैसे ही हुयी 

बरसात के मौसम के जल्दी ही 
आने की 

मेंंढक दीवाने सारे लग गये तैयारी में 
ढूढना शुरु कर दिये दर्जी 
अपने अपने 

होड़ मच चुकी है नजर आने लगी 
पायजामे बिना इजहार के सिलवाने की 

टर्र टर्र 
दिखने लगी हर जगह 
इधर भी उधर भी 

आने लगी घर घर से आवाज 

करने की रियाज 
टर्राने की 

फुदकना 
शुरु हो गये मेंढक 

अपने अपने 
मेंढकों को लेकर मेढ़ पर कूओं के 

जल्दी मची 
दिखने लगी अपनी छोड़ 
दूसरे की पकड़ नैया पार हो जाने की 

कलगी 
लग गयी देख कर 
कुछ मेढकों के सर पर 

दिखने लगे 
कुछ नोचते हुऐ बाल अपने 

खबर छपनी 
शुरु हो गयी अखबारों में 
कुछ के बाल नोचने की 
कुछ के गंजे हो जाने की 

छूटनी शुरु हो गयी पकड़ 
कुओं की मुडेरों पर अपने 

नजर आने लगी 
खूबसूरती दूसरों की 
नालियों धारों की पाखानों की 

बरसात का 
भरोसा नहीं 
कब बादल चलें कब बरसें 

कब 
नाचें मोर भूल चुके कब से 
जो आदत 
अपने पंख फैलाने की 

‘उलूक’ 
छोटे उत्सव मेंढकों के 
जरूरी भी हैं 

बहुत बड़ी 
नहर में तैरने कूदने को जाने की बारी 

किस की 
आ जाये अगली बरसात 
से पहले ही 

बात ही तो है 
तिकड़म भिड़ाने की 

आये तो सही किसी तरह 

हिम्मत थोड़ी सी 
शरम हया छोड़ 
हमाम तोड़ कर अपना 

कहीं बाहर निकल कर 
खुले में नंगा हो जाने की । 

चित्र साभार: https://www.prabhatkhabar.com

शनिवार, 12 मई 2018

इंतजार है इज़हार करने का गुलाब हाथ में है तसवीर ख़्वाब में है वफ़ा करने का नशा है बता तो सही तू है तो कहाँ है

रोज
अपना ही
मत गोड़

कभी
उसके
लिये भी
लगा लिया
कर दौड़

इंतजार
सबको है

किसका है
किसे
बताना है
रहने भी दे
छोड़

किस लिये
करता है
इजहार

कुछ
बदलने के
नहीं हैं
यहाँ आसार

लिख
और
लिख कर
हवा में उड़ा

धुआँ देख
खुश हो
मन
मत मार

गुलाब ही
गुलाब हैं
सारे फूल हैं

सब
लिख रहें हैं
सब ही
सुरखाब हैं

कलम घिस्सी
काली सफेद

रहने दे
मत कर

रंगों के
जमाने हैं

रंग ही बस
अब आबाद हैं

ख्वाब देख
सुबह देख

दोपहर में देख
रात में देख

संगीत मान ले
मक्खियों
की भिन भिन

कौन से
पूरे होने हैं
कौन से
अधूरे
रहने हैं

दिखाने
वाले पर
छोड़ दे
चुनाव के
दिन गिन

बेवफाई कर
जिंदा रहेगा

घर में रहेगा
खबर में रहेगा

वफा करेगा
वफादार रहेगा

कोई
कुत्ता कहेगा
बेमौत मरेगा

नशे में लिख
नशा लिख
बस लिखे में
मत लड़खड़ा

'उलूक'
लिखे
लिखाये से

कौन
सा पता
चलना है
किसी के
बारे में

कौन है
क्या है
कितना है
खड़खड़ा।

चित्र साभार www.canstockphoto.com