उलूक टाइम्स: दुखी
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गुरुवार, 26 जून 2014

एक बहुत बड़े परिवार में एक का मरना खबर नहीं होता है

किसलिये मायूस
और किसलिये
दुखी होता है
सब ही को बहुत
अच्छी तरह से
पता होता है
जिसका कोई
नहीं होता है
उसका खुदा
जरूर होता है
अपनी बात को
अपने ही खुदा
से क्यों नहीं
कभी कहता है
उसका खुदा तो
बस उसके लिये
ही होता है
खून का रंग भी
सब ही का
लाल जैसा
ही तो होता है
अच्छे का
खुदा अच्छा
और बुरे का
खुदा बुरा
नहीं होता है
आदमी का खून
आदमी ही
सुखाता है
इस तरह का
कुछ बहुत
ज्यादा दिन
भी नहीं चल
पाता है
क्यों मायूस
और दुखी
इस सब
से होता है
सब को बस
मालूम ही नहीं
बहुत अच्छी
तरह से
पता होता है
जिसका कोई
नहीं होता है
उसका खुदा
जरूर ही होता है
रोज मरता है
कोई कहीं ना कहीं
इस दुनियाँ में
घर में मर गया
कोई किसी के
से क्या होता है
किसी जमाने में
खबर आती थी
मर गया कोई
मरे मरे हों सब जहाँ
वहाँ खबर करने से
भी क्या होता है
उठी लहर के साथ
उठ बैठने वाला
फिर खड़ा होने को
लौट गया होता है
कत्ल होने से
रोज डरता है ‘उलूक’
मारने वाले का खुदा
उसके साथ होता है
जिसका कोई
नहीं होता है
उसका खुदा तो
जरूर होता है
मगर उसका
खुदा उसका
और इसका खुदा
बस इसका खुदा
ही होता है ।

सोमवार, 23 सितंबर 2013

एक सही एक करोड़ गलत पर भारी होता है

ऐसा
एक नहीं
कई बार
होता है

जब
ऊपर
वाले का
अपना कोई

नीचे
आकर के
जन्म लेता है

हर कोई
उसे उसका
एक अवतार
कहता है

सुना गया है

बैकुंठ में
वैसे तो
सब कुछ
होता है
और
अलौकिक
होता है

फिर
इस लोक में
क्यों कोई
आने को

इतना
आतुर होता है

ये
उसकी
समझ में
आने से
बहुत
दूर होता है

जो
खुद के
यहां होने से

बहुत
दुखी होता है

जब देखो
बैकुंठ
जाने के लिये
रोता रहता है

पर
जो जो
यहां होता है

वो
बैकुंठ में
कभी नहीं
होता है

लूटमार
भ्रष्टाचार
सड़क का
ब्लात्कार

बीस गोपियां
बीबी चार
मैं और मेरे
को लेकर
मारामार

केवल
यहीं होता है

और

यहां
सब की
नजर में
ये सब कुछ
ठीक होता है

वो
कहता है

कि
सबको
ठीक करने
के लिये ही

उसे
ऊपर से

नीचे
उतरना
होता है

किसी को
पता नहीं
होता है

जब भी
उसका मन

इस
लोक में
आने का
होता है

उसके
इशारे
पर ही

यहां
बहुत
कुछ
होता है

उस बहुत
कुछ को

देखने
सुनने
के लिये
ही तो

वो
यहां होता है

अकेले
होता है से

क्या होता है

परलोक
का एक
इस लोक के
अनेक के ऊपर

बहुत
भारी होता है

कोई भी
कहीं भी
कुछ भी
करता रहे

जब वो
यहां होता है

तो फिर

किसी के
भी किये गये

गलत सलत से
क्या होता है

उसका
होना ही

अपने आप में

क्या 

नहीं होता है ।

शनिवार, 21 जुलाई 2012

आज कुछ नहीं है

आप
कुछ भी
कह कर
के देखो
वो उस पर
कुछ कुछ
कह ही
जाते हैं

कुछ
जनाब
कुछ भी
हो जाये
कुछ नहीं
कह कर
जाते हैं

कुछ को
हमेशा
कुछ ना
कुछ होता
रहता है

कुछ ने
देखा नहीं
कुछ कहीं
कुछ कुछ
होना उनको
शुरु होता है

कुछ हुआ
है या नहीं
कुछ को
कुछ तो
जरूर पता
होता है

जाकर
देखना
पड़ता है
कुछ इस
सब के लिये
कुछ ना कुछ
कुछ जगह
पक्का ही
लिखा होता है

कुछ नहीं
भी हो कहीं
तो भी
क्या होता है

कुछ हो
जाता है
अगर तब
भी कौन
सा कुछ
होता है

कुछ होने
या ना
होने से
कुछ
बहुत कुछ
कहने से
बच जाते है

कुछ
कहूंगा
पक्का
सोचते हैं
पर कुछ
कहने से
पहले ही
कुछ भ्रमित
हो जाते हैं

कुछ
आते हैं
कुछ
जाते है
कुछ
पढ़ते हैं
कुछ
लिखते हैं

कुछ
कुछ
भी नहीं
करते हैं

बस कुछ
करने
वालों
से कुछ
दुखी हो
जाते हैं

कुछ दिन
कुछ नहीं
करते हैं

कुछ  दिन
बाद फिर
कुछ कुछ
करना शुरू
हो जाते हैं ।