मरने की बात अपनी सुनकर
बहुत डरा करता है आदमी
बहुत डरा करता है आदमी
खुद के गुजरने की बात भूलकर भी
नहीं करा करता है आदमी
नहीं करा करता है आदमी
दो बाँस चार कँधे लाल सफेद कपडे
कहीं भी जमा नहीं करा करता है आदमी
कहीं भी जमा नहीं करा करता है आदमी
अजीब चीजें इकट्ठा करता हुआ एक ही जीवन में
कई बार मरा करता है आदमी
कई बार मरा करता है आदमी
देखना सुनना फिर कहना देखा सुना
अपनी फितरत से जरा करता है आदमी
अपनी फितरत से जरा करता है आदमी
कान आँख जुबाँ हर आदमी की अलग होती हैं
साबित करा करता है आदमी
साबित करा करता है आदमी
रोज मरना कई बार मरना और फिर इसी मरने को अन्देखा
हमेशा करा करता है आदमी
हमेशा करा करता है आदमी
इसके मरने को उसने देखा उसके मरने को इस ने देखा
बस खुद अपने मरने पर पर्दा करा करता है आदमी
बस खुद अपने मरने पर पर्दा करा करता है आदमी
दिया एक जलाता है दीपावली भी मनाता है
रोशनी की बात सबसे ज्यादा किया करता है
रोशनी खुद की बनाने में मरा आदमी
रोशनी की बात सबसे ज्यादा किया करता है
रोशनी खुद की बनाने में मरा आदमी
किसलिये माँगते हो ‘उलूक’ से जिंदा आदमी होने का एक सबूत
इतना मरता है
मरते मरते मरा करता है
उसका मरना ही उसके जिंदा होने का है सबूत
हर समय दिया करता है आदमी
मरते मरते मरा करता है
उसका मरना ही उसके जिंदा होने का है सबूत
हर समय दिया करता है आदमी
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