लगातार
कई बरसों तक
सोये हुऐ पन्नों पर
नींद लिखते रहने से
शब्दों में उकेरे हुऐ
सपने उभर कर
नहीं आ जाते हैं
ना नींद
लिखी जाती है
ना पन्ने उठ
पाते हैं नींद से
खुली आँख से
आँखें फाड़ कर
देखते देखते
आदत पढ़ जाती है
नहीं देखने की
वो सब
जो बहुत
साफ साफ
दिखाई देता है
खेल के नियम
खेल से ज्यादा
महत्वपूर्ण होते हैं
नदी के किनारे से
चलते समय के
आभास अलग होते हैं
बीच धारा में पहुँच कर
अन्दाज हो जाता है
चप्पू नदी के
हिसाब से चलाने से
नावें डूब जाती हैं
बात रखनी
पड़ती है
सहयात्रियों की
और
सोच लेना होता है
नदी सड़क है
नाव बैलगाड़ी है
और
यही जीवन है
किताबों में
लिखी इबारतें
जब नजरों से
छुपाना शुरु
कर दें उसके
अर्थों को
समझ लेना
जरूरी हो
जाता है
मोक्ष पाने
के रास्ते का
द्वार कहीं
आसपास है
रोज लिखने
की आदत
सबसे
अच्छी होती है
कोई ज्यादा
ध्यान नहीं
देता है
मानकर कि
लिखता है
रहने दिया जाये
कभी कभी
लिखने से
मील के पत्थर
जैसे गड़ जाते हैं
सफेद पन्ने
काली लकीरें
पोते हुऐ जैसे
उनींदे से
ना खुद
सो पाते हैं
ना सोने देते हैं
‘उलूक’
बड़बड़ाते
रहना अच्छा है
बीच बीच में
चुप हो जाने से
मतलब समझ में
आने लगता है
कहे गये का
होशियार लोगों को
पन्नो को नींद
आनी जरूरी है
लिखे हुऐ को भी
और लिखने वाले
का सो जाना
सोने में सुहागा होता है ।
चित्र साभार: Science ABC
कई बरसों तक
सोये हुऐ पन्नों पर
नींद लिखते रहने से
शब्दों में उकेरे हुऐ
सपने उभर कर
नहीं आ जाते हैं
ना नींद
लिखी जाती है
ना पन्ने उठ
पाते हैं नींद से
खुली आँख से
आँखें फाड़ कर
देखते देखते
आदत पढ़ जाती है
नहीं देखने की
वो सब
जो बहुत
साफ साफ
दिखाई देता है
खेल के नियम
खेल से ज्यादा
महत्वपूर्ण होते हैं
नदी के किनारे से
चलते समय के
आभास अलग होते हैं
बीच धारा में पहुँच कर
अन्दाज हो जाता है
चप्पू नदी के
हिसाब से चलाने से
नावें डूब जाती हैं
बात रखनी
पड़ती है
सहयात्रियों की
और
सोच लेना होता है
नदी सड़क है
नाव बैलगाड़ी है
और
यही जीवन है
किताबों में
लिखी इबारतें
जब नजरों से
छुपाना शुरु
कर दें उसके
अर्थों को
समझ लेना
जरूरी हो
जाता है
मोक्ष पाने
के रास्ते का
द्वार कहीं
आसपास है
रोज लिखने
की आदत
सबसे
अच्छी होती है
कोई ज्यादा
ध्यान नहीं
देता है
मानकर कि
लिखता है
रहने दिया जाये
कभी कभी
लिखने से
मील के पत्थर
जैसे गड़ जाते हैं
सफेद पन्ने
काली लकीरें
पोते हुऐ जैसे
उनींदे से
ना खुद
सो पाते हैं
ना सोने देते हैं
‘उलूक’
बड़बड़ाते
रहना अच्छा है
बीच बीच में
चुप हो जाने से
मतलब समझ में
आने लगता है
कहे गये का
होशियार लोगों को
पन्नो को नींद
आनी जरूरी है
लिखे हुऐ को भी
और लिखने वाले
का सो जाना
सोने में सुहागा होता है ।
चित्र साभार: Science ABC