उलूक टाइम्स: मोक्ष
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मंगलवार, 27 जून 2017

पुराना लिखा मिटाने के लिये नया लिखा दिखाना जरूरी होता है

लगातार
कई बरसों तक
सोये हुऐ पन्नों पर
नींद लिखते रहने से
 शब्दों में उकेरे हुऐ
सपने उभर कर
नहीं आ जाते हैं

ना नींद
लिखी जाती है
ना पन्ने उठ
पाते हैं नींद से

खुली आँख से
आँखें फाड़ कर
देखते देखते
आदत पढ़ जाती है
नहीं देखने की
वो सब
जो बहुत
साफ साफ
दिखाई देता है

खेल के नियम
खेल से ज्यादा
महत्वपूर्ण होते हैं

नदी के किनारे से
चलते समय के
आभास अलग होते हैं

बीच धारा में पहुँच कर
अन्दाज हो जाता है

चप्पू नदी के
हिसाब से चलाने से
नावें डूब जाती हैं

बात रखनी
पड़ती है
सहयात्रियों की

और
सोच लेना होता है
नदी सड़क है
नाव बैलगाड़ी 
है 
और
यही जीवन है

किताबों में
लिखी इबारतें
जब नजरों से
छुपाना शुरु
कर दें उसके
अर्थों को

समझ लेना
जरूरी हो
जाता है

मोक्ष पाने
के रास्ते का
द्वार कहीं
आसपास है

रोज लिखने
की आदत
सबसे
अच्छी होती है

कोई ज्यादा
ध्यान नहीं
देता है
मानकर कि
लिखता है
रहने दिया जाये

कभी कभी
लिखने से
मील के पत्थर
जैसे गड़ जाते हैं

सफेद पन्ने
काली लकीरें
पोते हुऐ जैसे
उनींदे से

ना खुद
सो पाते हैं
ना सोने देते हैं

‘उलूक’
बड़बड़ाते
रहना अच्छा है

बीच बीच में
चुप हो जाने से
मतलब समझ में
आने लगता है
कहे गये का
होशियार लोगों को

पन्नो को नींद
आनी जरूरी है
लिखे हुऐ को भी
और लिखने वाले
का सो जाना
सोने में सुहागा होता है ।

चित्र साभार: Science ABC

शुक्रवार, 1 अप्रैल 2016

आदमी और आदमी के घोड़े हो जाने का व्यापार

अनायास
अचानक

नजर
पड़ती है

आस पास

जगह जगह
फैली हुई
लीद पर

कुछ ताजी
कुछ बासी
कुछ अकड़ी

कुछ लकड़ी
हुई सी
चारों तरफ
अपने

माहौल
बनाये हुऐ
किसी बू की

बद कहें
या खुश

समझना
शुरु करने पर
दिखाई नहीं देते

किसी भी
जानवर के
खुरों के निशान

नजर
आते हैं
बस कुछ लोग

जो
होते ही हैं
हमेशा ही
इस तरह की
जगहों पर
आदतन

रास्ते से
भेजे गये
कुछ लोग

कब कहाँ
खो जाते हैं

कब घोड़े
हो जाते हैं

पता
चलता है
टी वी और
अखबार से

घोड़ों के
बिकने
खरीदने के
समाचार से

आदमी का
घोड़ा हो जाना

कहाँ पता
चलता है

कौन
आदमी है
कौन
घोड़ा है

कौन
लीद को
देखता है
किसी की

पर
आदमी कुछ
घोड़े हो
चुके होते हैं
ये सच होता है

घोड़ों का
ऐसा व्यापार

जिसमें
बिकने वाला
हर घोड़ा

घोड़ा कभी
नहीं रहा
होता है

गजब का
व्यापार
होता है

सोचिये

हर पाँच
साल में

पाँच साल भी
अब
किस्मत
की बात है

अगर आप
कुछ नहीं
को भेज रहे हैं
कहीं

उसके
अरबों के
घोड़े हो जाने
की खबर पर

खम्भा भी
खुद का ही
नोचते हैं

लगे रहिये
लीद के इस
व्यापार में

आनंद
जरूरी है

समझ
अपनी
अपनी है

घोड़ों को
कौन बेच
रहा है

कौन
घोड़ा है

लीद
किसके लिये
जरूरी है

लगे रहिये

‘उलूक’
को जुखाम
हुआ है

और
वो लीद
मल रहा है

सुना है
लीद से
ही मोक्ष
मिलता है ।

चित्र साभार: www.shutterstock.com

सोमवार, 3 मार्च 2014

आदमी खेलता है आदमी आदमी आदमी के साथ मिलकर

हाड़ माँस और
लाल रक्त
आदमी का जैसा
ही होता है आदमी
कोशिश करता है
घेरने की एक
आदमी को ही
मिलकर एक
आदमी के साथ
आखेट करने वाले
के निशाने पर
होता है उस
समय भी
एक आदमी
बहुत सी मौतें
स्वाभाविक
होती हैं जिनमें
आदमी की
मृत्यू होती है
मरने वाला भी
आदमी होता है
मारने वाला भी
आदमी होता है
मर जाना यानि
मुक्त हो जाना
मोक्ष पा जाना
छुटकारा मिल जाना
आदमी को एक
आदमी से ही
इतना आसान
नहीं होता है
जितना कहने
सुनने और लिखने
में लगता है
आदमी का सबसे
प्रिय खेल भी
यही होता है
जंगल के शेर
के शिकार में
वो नशा कभी
नहीं होता है
जैसा आदमी के
शिकार में आदमी
के साथ मिलकर
एक आदमी ही
आदमी को घेरेते
चले जाता है
आदमी को भी
पता होता है
घेरेने वाला भी
अपना ही होता है
धागे भी बहुत
पक्के होते हैं
जाल कसता
चला जाता है
आदमी बस
कसमसाता है
पकड़ मजबूत
होते चली जाती है
आदमी के पंजे में
एक आदमी
आ जाता है
मरता कहीं भी
कोई नहीं है
पकड़ने वाला
मारना ही
नहीं चाहता है
फाँसी देने से
बेहतर उम्र कैद
को माना जाता है
क्या क्या नहीं
करता है आदमी
आदमी के साथ
बस बचा हुआ
कुछ है तो
आदमी की नींद
का एक सपना
जो उसका अपना
कहलाता है
आदमी का मकसद
होता है जिसे
अपनी मुट्ठी
में करना
बस यहीं पर
आदमी आदमी
से मात
खा जाता है
आदमी आदमी
के साथ मिलकर
आदमी को
कभी मोक्ष
नहीं दे पाता है ।