थोड़ा
कुछ सोच कर
थोड़ा
कुछ विचार कर
लिखेगा तो
शायद
कुछ अच्छा
कभी लिख
लिया जायेगा
गद्य हो
या पद्य हो
पढ़ने वाले
के शायद
कुछ कभी
समझ में
आ ही जायेगा
लेखक
या कवि
ना भी कहा गया
कुछ
लिखता है
तो कम से कम
कह ही दिया जायेगा
देखे गये
तमाशे को
लिखने पर
कैसे
सोच लेता है
कोई
तमाशबीन
आ कर
अपने ही
तमाशे पर
ताली जोर से
बजायेगा
जितना
समझने की
कोशिश करेगा
किसी सीधी चीज को
उतना
उसका उल्टा
सीधा नजर आयेगा
अपने
हिसाब से
दिखता है
अपने सामने
का तमाशा
हर किसी को
तेरे
चोर चोर
चिल्लाने से
कोई थानेदार
दौड़ कर
नहीं चला आयेगा
आ भी गया
गलती से
किसी दिन
कोई भूला भटका
चोरों के
साथ बैठ
चाय पी जायेगा
बहुत ज्यादा
उछल कूद
करेगा ‘उलूक’
इस तरह से हमेशा
लिखना
लिखाना
सारा का सारा
धरा का धरा
रह जायेगा
किसी दिन
चोरों की रपट
और गवाही पर
अंदर भी कर
दिया जायेगा
सोच
कर लिखेगा
समझ
कर लिखेगा
वाह वाह
भी होगी
कभी
चोरों का
सरदार
इनामी
टोपी भी
पहनायेगा ।
चित्र साभार: keratoconusgb.com
कुछ सोच कर
थोड़ा
कुछ विचार कर
लिखेगा तो
शायद
कुछ अच्छा
कभी लिख
लिया जायेगा
गद्य हो
या पद्य हो
पढ़ने वाले
के शायद
कुछ कभी
समझ में
आ ही जायेगा
लेखक
या कवि
ना भी कहा गया
कुछ
लिखता है
तो कम से कम
कह ही दिया जायेगा
देखे गये
तमाशे को
लिखने पर
कैसे
सोच लेता है
कोई
तमाशबीन
आ कर
अपने ही
तमाशे पर
ताली जोर से
बजायेगा
जितना
समझने की
कोशिश करेगा
किसी सीधी चीज को
उतना
उसका उल्टा
सीधा नजर आयेगा
अपने
हिसाब से
दिखता है
अपने सामने
का तमाशा
हर किसी को
तेरे
चोर चोर
चिल्लाने से
कोई थानेदार
दौड़ कर
नहीं चला आयेगा
आ भी गया
गलती से
किसी दिन
कोई भूला भटका
चोरों के
साथ बैठ
चाय पी जायेगा
बहुत ज्यादा
उछल कूद
करेगा ‘उलूक’
इस तरह से हमेशा
लिखना
लिखाना
सारा का सारा
धरा का धरा
रह जायेगा
किसी दिन
चोरों की रपट
और गवाही पर
अंदर भी कर
दिया जायेगा
सोच
कर लिखेगा
समझ
कर लिखेगा
वाह वाह
भी होगी
कभी
चोरों का
सरदार
इनामी
टोपी भी
पहनायेगा ।
चित्र साभार: keratoconusgb.com