तुझे अपनी
खींचनी हैं
लकीरें
मुझे अपनी
खींचने दे
मैं भी
आता हूँ
देखने
तेरी लकीरें
तू भी
बिना नागा
आता रहा है
लकीरें
समझने
आता है
कोई या
गिन कर
चला
जाता है
पता नहीं
चलता है
फिर भी
आना जाना
लगा रहता है
क्या कम है
लकीरें
खींचने वाला
आने जाने
वालों की
गिनती से
अपनी लकीरों
को गिनना
शुरु नहीं
कर देता है
लकीरें खींचना
मजबूरी होती है
लकीरें
सब की होती हैं
कौन किस
लकीर का
किस तरह
से उपयोग
कर ले
जाता है
उसे ही
पता होता है
कान नाक
और आँख
सबकी
एक जैसी
दिखती हैं
पर होती
नहीं हैं
कुछ दिखाना
पसन्द करते हैं
कुछ छिपाना
पसन्द करते हैं
पर खेल
सारा लकीरों
का ही है
तेरी लकीर
मेरी लकीर से
कितनी लम्बी
कितनी सीधी
या ऐसा कुछ भी
अपनी अपनी
लकीरें ले कर
दूसरों की
लकीरों को
तव्वजो
दे लेना
बहुत बड़ी
बात है
लकीरें
समझने
के लिये
होती भी
नहीं हैं
इसीलिये
‘उलूक’
भी लकीरें
पीट रहा
है अपनी
अब किसी
की लकीर
बड़ी हो
जाती है
किसी की
सीधी हो
जाती है
कोई बात
नहीं है
अगली
लकीर में
संशोधन
किया जा
सकता है
लकीरबाजों
को ठंड
रखनी भी
जरूरी है ।
चित्र साभार: notimerica.com960
खींचनी हैं
लकीरें
मुझे अपनी
खींचने दे
मैं भी
आता हूँ
देखने
तेरी लकीरें
तू भी
बिना नागा
आता रहा है
लकीरें
समझने
आता है
कोई या
गिन कर
चला
जाता है
पता नहीं
चलता है
फिर भी
आना जाना
लगा रहता है
क्या कम है
लकीरें
खींचने वाला
आने जाने
वालों की
गिनती से
अपनी लकीरों
को गिनना
शुरु नहीं
कर देता है
लकीरें खींचना
मजबूरी होती है
लकीरें
सब की होती हैं
कौन किस
लकीर का
किस तरह
से उपयोग
कर ले
जाता है
उसे ही
पता होता है
कान नाक
और आँख
सबकी
एक जैसी
दिखती हैं
पर होती
नहीं हैं
कुछ दिखाना
पसन्द करते हैं
कुछ छिपाना
पसन्द करते हैं
पर खेल
सारा लकीरों
का ही है
तेरी लकीर
मेरी लकीर से
कितनी लम्बी
कितनी सीधी
या ऐसा कुछ भी
अपनी अपनी
लकीरें ले कर
दूसरों की
लकीरों को
तव्वजो
दे लेना
बहुत बड़ी
बात है
लकीरें
समझने
के लिये
होती भी
नहीं हैं
इसीलिये
‘उलूक’
भी लकीरें
पीट रहा
है अपनी
अब किसी
की लकीर
बड़ी हो
जाती है
किसी की
सीधी हो
जाती है
कोई बात
नहीं है
अगली
लकीर में
संशोधन
किया जा
सकता है
लकीरबाजों
को ठंड
रखनी भी
जरूरी है ।
चित्र साभार: notimerica.com960