उलूक टाइम्स

रविवार, 15 सितंबर 2013

गर्व से कहो फर्जी हैं


देश में
फर्जी लोगों की
कमी नहीं है

ये मैं नहीं कह रहा हूं

आज के
हिंदुस्तान के
मुख्य पृष्ठ में छपा है
और
इस बात को
देश का सुप्रीम कोर्ट
सुना है कह रहा है

फर्जी डाक्टर
फर्जी पुलिस
फर्जी पायलट
जैसे और कई
खुशी हुई बस
ये देख कर
फर्जी मास्टर कहीं
भी नहीं लिखा है

मजे की
बात देखिये
कोर्ट को जैसे
बहुत
गर्व हो रहा है

कि
इन फर्जी लोगों
के कारण ही तो
देश सही ढंग से
चल रहा है

कोर्ट
मानता है
हजारों फर्जी वकील
रोज वहां आ रहे हैं
अच्छा काम कर रहे हैं
समय पर लोगों को
न्याय दिलवा रहे हैं

ऐसे में
आप लोग
क्यों परेशान
इतना
हो जा रहे हैं

क्यों
फर्जी पायलटों
की बात
हमें बता रहे हैं

एक दो
हवाई जहाज
अगर वो कहीं
गिरा रहे हैं
तो कौन सा
देश के लिये
खतरा हो जा रहे हैं

थोड़े कुछ
अगर मर
भी जा रहे हैं
तो देश की
जनसंख्या
कम करने में
अपना योगदान
कर जा रहे हैं

देख
क्यों नहीं रहे हैं
बहुत से ऐसे लोग
देश को तक
चला रहे हैं

इतना बड़ा देश
हवा में उड़ रहा है
कई साल हो गये
इसे उड़ते उड़ते
आज तक तो कहीं
भी नहीं गिरा है

फिर काहे में कोर्ट
का समय आप
लोग खा रहे हैं

फर्जी होना ही
आज के समय में
बहुत जरूरी
हो गया है

जो
नहीं हुआ है
उसने कुछ
भी नहीं
अभी तक
किया है

सही समय पर
सही निर्णय जो
लोग ले पा रहे हैं

किसी ना किसी
फर्जी को अपना
गुरु बना रहे हैं

और
जो लोग फर्जी
नहीं हो पा रहे हैं

देश के नाम पर
कलंक एक हो
जा रहे हैं

ना ही
अपना भला
कर पा रहे हैं
ना ही किसी के
काम आ पा रहे हैं

आपको
शरम भी
नहीं आ रही है

ऐसे में भी

एक
फर्जी के ऊपर
मुकदमा ठोकने
कोर्ट की शरण में
आ जा रहे हैं ।

शनिवार, 14 सितंबर 2013

हिंदी दिवस तो हो गया

हिंदी दिवस ही
तो था हो गया
कुछ को पता था
कुछ और को भी
चलो आज इसी
बहाने से और
पता हो गया
हिंदी के अखबार में
छोटा सा समाचार
हिंदी दिवस पर
दिखा कहीं कौने
पर एक वो भी
पढ़ते पढ़ते पता
ही नहीं चला
कंहा गया और
कहां खो गया
अब किसी सँत
वैलेंटाईन का
आदेश तो था नहीं
जो कह ले जाते
मनाना बहुत ही
जरूरी हो गया
चकाचौंध कभी
थी नहीं वैसे भी
हिंदी भाषा में
सीधी सादी एक
हीरोईन को छोटे
कपड़ों में आना
लगता है अब
बहुत ही जरूरी
सा कुछ हो गया
सबसे सुन्दर और
अलंकृत मात्र भाषा
की सुन्दरता को
उसके अपनो को ही
दिखाने के लिये
एक नजदीक का
चश्मा पहनाना
लगता है अब बहुत
ही जरूरी हो गया
ज्यादा क्या लिखना
हिंदी जैसे विषय पर
घर की मुर्गी का
स्वाद एक बार फिर
से जब मूंग की दाल
के बराबर हो गया ।

शुक्रवार, 13 सितंबर 2013

यशोदा मैया है मेरी हिंंदी


मैया यशोदा
इंटेलिजेंट है
उसे मालूम
है ये बात
कि कन्हैया
गॉड का ही
एक ऐजेंट है
उस को
सब पता है
कैसे कन्हैया
को हैंडल
करना है
कहती कुछ
नहीं है बस
एक इशारा भर
कर जाती है
नॉटी बॉय को
रास्ते पर
ले आती है
कन्हैया एक
नहीं हजार
होते हैं
मैया यशोदा
के लिये
कोई प्रॉब्लम
नहीं होते हैं
जन्म नहीं
भी उसकी
कोख से
लेते हैं
तब भी
इतना उस
पर डिपेंडेंट
होते हैं
जैसे एक
बॉस और
एक सरवेंट
होते हैं
हिंदी दिवस
पर ये बात
समझ में
बहुत अच्छी
तरह आ
जाती है
किस तरह
हिंदी हमारी
मैया यशोदा
हो जाती है
दुनियाँ की
सारी भाषाओं
के शब्दों को
आत्मसात
कर ले
जाती है
कोई भी
भाषा इतनी
मैया यशोदा
कहां हो
पाती है
जितना मेरी
हिंदी अपने
को बना
ले जाती है
किसी को
नहीं बता
सकता ये
बात मैं भी
मुझसे भी तो
मैया यशोदा
इसी तरह से
कविता एक
लिखवाती हैं
और
हिंदी दिवस
मनाती हैं ।

गुरुवार, 12 सितंबर 2013

प्रकृति विकेंद्रीकरण सीख



हे प्रकृति

छोटी धाराओं को 
तू कब तक
यूं ही 
मिलाते ही चली जायेगी

लम्बी थकाने वाली
दूरी 
चला चला कर
समुद्र में 
डाल कर के आयेगी

कुछ सबक
आदमी से भी 
कभी
सीखने के लिये 
अगर आ जायेगी

तेरी
बहुत सी परेशानियां 
चुटकी में दूर हो जायेंगी

आदमी
कभी बड़ी चीज 
को
बड़ा बनाने के लिये 
नहीं कहीं जाता
अपने लिये
खुद ही किसी 
आफत को नहीं बुलाता

तेरी जगह
अगर 
इसी काम का ठेका वो पा जाता
तो 
धाराओं को थोड़ी देर को रुकने के लिये 
बोल कर आता

इसी बीच
समुद्र को भी 
जाकर कुछ समझा आता
उसके
बड़े होते जाने के 
नुकसान
उसको 
सारे के सारे गिनाता

ये भी साथ में बताता
बड़ी चीज को संभालना 
बहुत ही मुश्किल
आगे 
जा कर कभी है हो जाता

समुद्र को
छोटे छोटे कुओं में 
इस तरह से बंटवाता

हर कुंऐ में 
एक मेंढक को
बुला कर के बैठाता

जब समुद्र 
समुद्र ही नहीं रह जाता

तब लौट कर 
धाराओं के सामने आकर
थोड़े से
आंसू कुछ बहाता

फिर किसी दिन 
साथ ले चलने का एक वादा 
बस कर के आता
टी ए डी ए का एक और मौका 
बनाता

और
आपदा आने पर भी 

तेरी तरह
आदमी की 
गाली नहीं खाता
वहां पर भी
कुछ 
पैसे बना ले जाता

हे प्रकृति

तेरी 
समझ में
ये 
क्यों नहीं आ पाता

धाराओं को मिलाने 
से
तुझे क्या 
है मिल जाता ।

चित्र साभार: www.uniworldnews.org

बुधवार, 11 सितंबर 2013

उसका जरूर पढ़ना पर लिखना खुद अपना

ये नया
आईडिया
तेरे दिमाग में
किसने आज
घुसा दिया

वैसे भी तू
कुछ बुरा
तो नहीं
दिखता है
कुछ अजीब
सा क्यों आज
तुझको बना दिया

किसी ने
कहा तुझसे
मोर पंख
अगर कहीं
पर एक
चिपकायेगा
तो कौऎ
से मोर तू
जरूर
हो जायेगा

कोई कुछ भी
लिख रहा हो
उससे क्या
हो जायेगा

तू बहुत अच्छी
बकबास
कर लेता है
उसकी तरह
लिखने को
अगर जायेगा

कैसे सोच
लिया तूने
कवि सम्मेलन
के निमंत्रण
पाना शुरु
हो जायेगा

बच
अगर अभी भी
बच सकता है

लिख वही
जो तू खुद
लिख सकता है

छंद अलंकार
व्याकरण को
बीच में लायेगा
जो है वो भी
नहीं रहेगा
जो बनेगा
उसको कोई
सरकस वाला
जरूर उठा
के ले जायेगा

ये लेखन
की दुनिया
बहुत बड़ी
भूलभुलईया है

इसमें ज्यादा
दिमाग अगर
लगायेगा

कहाँ घुस के
कहाँ
निकल आया
कोई पता भी
नहीं कर पायेगा

अभी जाना
जाता है
पहचाना
 जाता है
कुछ आदमी
जैसा है
आदमियों
के बीच में
ये भी
माना जाता है

जैसा है
वैसा ही रहेगा
कुछ पायेगा
नहीं भी तो भी
ज्यादा कुछ
नहीं गवांऎगा

बंदर गुलाटियाँ
मारता हुआ ही
अच्छा लगता है

खुद सोच
कैसा दिखेगा
अगर कहीं वो
दो टांगो पर
चलता हुआ
देखा जायेगा

तू क्या
समझता है
जो जैसा
लिखता है
वो वैसा ही
दिखता है
बहुत से हैं
मेरी तरह
के बेईमान
यहाँ पर
जिनका ब्लाग
ईमानदार
ब्लाग के
नाम से
चलता है

 देखा देखी
और
भीड़ तंत्र के
जादू से निकल
कोशिश कर
और
अपनी टांगों
में ही चल
ऎसा ना हो
कहीं सब कुछ
तेरे हाथ
से जाये
कहीं निकल
अपनी टाँग
भी करे
चलने से
इनकार
और
बैसाखी जाये
हाथों से
दूर फिसल

बहुत कुछ है
जो तेरे पास है
और
तेरा अपना है
सामने वाले
के पास
दिख रहा
ताजमहल
खुद उसी
के लिये
एक सपना है

अपनी सुन्दर
झोपड़ी को
सबको दिखा
खूब जम
के इतरा
सब के लिखे
को पढ़ जरूर
किसी ने
नहीं रोका है
अपनी
बक बक को
बक बक
ही रहने दे
कविता को
बस एक
पाजामा
पहनाने से
ही तो
तुझे टोका है ।