जरूरी नहीं
कुछ जले और धुआँ भी उठे
धुऎं का धुआँ बनाना तो
और भी मुश्किल काम है
और भी मुश्किल काम है
कब कौन क्या जला ले जाता है
किसी को पता नहीं चल पाता है
हर कोई अपना धुआँ बनाता है
हर कोई अपना धुआँ फैलाता है
कहते हैं
आग होगी तो धुआँ भी उठेगा
माहिर लोग
इन सब बातो को नहीं मानते हैं
वो तो
धुऎं का धुआँ बनाना
बहुत ही अच्छी तरह जानते हैं
बहुत बार
धुआँ धुऎं में ही मिल जाता है
कौन किसका धुआँ था
पता नहीं लग पाता है
ये भी जरूरी नहीं
हर चीज जल कर धुआँ हो जाये
बिना जले भी कभी कभी धुआँ देखा जाता है
धुऎं का धुआँ बनाकर धुआँ देखने वाला
खुद कब धुआँ हो जाता है
ये धुआँ जरूर बताता है।
चित्र साभार: imgarcade.com
उफ़ ! ये धुआं ! ...... नवसंवत्सर २०६९ की हार्दिक शुभकामनाएँ|
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 23 नवंबर नवंबर नवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंधुऎं का धुआँ बनाकर धुआँ देखने वाला
जवाब देंहटाएंखुद कब धुआँ हो जाता है
ये धुआँ जरूर बताता है
–वाहः