सुन !
मेरे को
मत पका
कभी कुछ
अच्छी दो
बातें भी तो
ढूँढ कर ला
गजल सुना
चुटकुला सुना
रंगीन नहीं है तो
ब्लैक एंड वाहिट
ही चल दिखा
कभी दिल्ली
में भटक जाता है
वहाँ नहीं
चला पाता है
तो देहरादून
आ जाता है
तेरा अपना
शहर तो जैसे
तुझे रोज ही
काटने को
आता है
कभी तो
मुस्कुरा
दो बातें
प्रेम की
भी सुना
माना की
बीबी की
डाँठ भी
खाता है
पर कोई
तेरी तरह
नहीं
झल्लाता है
ज्यादा
कचकच
लगाने वाला
अपने को
मत बना
मान जा
कभी हमारे
लिये भी गा
तितलियाँ फूल
झरने देख
कर आ
उनके बारे में
आ कर बता
स्कूल
में बच्चों
को
पढ़ाता होगा
हमको तो
मत पढ़ा
अनारकली
आ रही है
आज टी वी में
क्या तुझे है पता
रोज लिखना
जरूरी है क्या
आज कविता
मत चिपका
हम पर रहम
थोड़ा सा खा ।
साधु-साधु
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