खबर आई है आज
सब टेंट हटाये जायेंगे
टेंट वाले जो जो हैं
अन्दर पहुँचाये जायेंगे
अन्दर जा कर होगा क्या
ये अन्दर से ही बतायेंगे
अन्दर वाले उसके बाद
क्या बाहर फेंके जायेंगे
या बाहर से अन्दर घुसने
से वो रोके जायेंगे
सारी की सारी बातें
हम तुमको आज
अभी नहीं बतायेंगे
अन्दर भेजे तो जायेंगे
पर धक्के कौन लगायेंगे
सफेद टोपियों को अब
रंगने का कारोबार चलायेंगे
एक भाई से गेरूआ रंग
उसमें करवायेंगे
दूसरे भाई से हरा रंग
भरने का काम करायेंगे
चाचा जी से सफेद टोपी
पर तिरंगा बनवायेंगे
इनको अंदर जाने देंगे
हम उद्योग लगायेंगे
अपने अपने घर को
सब बाहर वाले जायेंगे
घर में जाकर घरवालों
का ही तो हाथ बटायेंगे
कुछ फिर से अपनी
साईकिल चलायेंगे
कुछ जाकर हाथी की
पीठ पर चढ़ जायेंगे
फूल वाले फूल का
गुलदस्ता बनायेंगे
हाथ हिलाने वाले लोग
अब भी हाथ हिलायेंगे
खबर आई है आज
सब टेंट हटाये जायेंगे
टेंट वाले जो जो हैं
अन्दर पहुँचाये जायेंगे ।
सब टेंट हटाये जायेंगे
टेंट वाले जो जो हैं
अन्दर पहुँचाये जायेंगे
अन्दर जा कर होगा क्या
ये अन्दर से ही बतायेंगे
अन्दर वाले उसके बाद
क्या बाहर फेंके जायेंगे
या बाहर से अन्दर घुसने
से वो रोके जायेंगे
सारी की सारी बातें
हम तुमको आज
अभी नहीं बतायेंगे
अन्दर भेजे तो जायेंगे
पर धक्के कौन लगायेंगे
सफेद टोपियों को अब
रंगने का कारोबार चलायेंगे
एक भाई से गेरूआ रंग
उसमें करवायेंगे
दूसरे भाई से हरा रंग
भरने का काम करायेंगे
चाचा जी से सफेद टोपी
पर तिरंगा बनवायेंगे
इनको अंदर जाने देंगे
हम उद्योग लगायेंगे
अपने अपने घर को
सब बाहर वाले जायेंगे
घर में जाकर घरवालों
का ही तो हाथ बटायेंगे
कुछ फिर से अपनी
साईकिल चलायेंगे
कुछ जाकर हाथी की
पीठ पर चढ़ जायेंगे
फूल वाले फूल का
गुलदस्ता बनायेंगे
हाथ हिलाने वाले लोग
अब भी हाथ हिलायेंगे
खबर आई है आज
सब टेंट हटाये जायेंगे
टेंट वाले जो जो हैं
अन्दर पहुँचाये जायेंगे ।
माथा भन्नाता विकट, हजम करारी हार |
जवाब देंहटाएंछाया सन्नाटा अटल, तम्बू-टेंट उखार |
तम्बू-टेंट उखार, खार खाए थी सत्ता |
हफ़्तों का उपवास, हिला न कोई पत्ता |
कांगरेस की जीत, निरंकुश और बनाए |
राजनीति की दौड़, अगर अन्ना लगवाये ||
कुलबुलाय कीड़ा-कपट, बेईमान इंसान ।
जवाब देंहटाएंझूठ स्वयं से बोल के, छोड़ हटे मैदान |
छोड़ हटे मैदान, डटे थे बड़े शान से |
बार बार आमरण, निकाले खड्ग म्यान से |
अनशन अब बदनाम, महात्मा गांधी अन्ना |
खड्ग सिंह विश्वास, टूटता मिटी तमन्ना ||
राष्ट्र कार्य करने चले, किन्तु मृत्यु भय साथ |
जवाब देंहटाएंलगा नहीं सकते गले, फिर ओखल क्यूँ माथ ?
फिर ओखल क्यूँ माथ, माथ पर हम बैठाए |
देते पूरा साथ, हाथ हर समय बढाए |
आन्दोलन की मौत, निराशा घर घर छाई |
लोकपाल की करें, आज सब पूर्ण विदाई ||
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंइस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (04-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
कुछ सच सा कहती लगी रचना ......
जवाब देंहटाएंबढ़िया...
जवाब देंहटाएंहाथ हिलाने वाले लोग
जवाब देंहटाएंअब भी हाथ हिलायेंगे
....बहुत सच कहा है...
वाह .. बहुत खूब ... टेंट मुक्त हो जायगा देश फिर तो ...
जवाब देंहटाएंजनतन्त्र(तथाकथित )में इतना तो चलता ही है.... अब काहे को सर पीटें
जवाब देंहटाएं:)
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