ये भी क्या बात है
उसको देख कर ही
खौरा तू जाता है
सोचता भी नहीं
क्यों जमाने के साथ
नहीं चल पाता है
अब इसमें उसकी
क्या गलती है
अगर वो रोज तेरे
को दिख जाता है
जिसे तू जरा सा भी
नहीं देखना चाहता है
तुझे पता है उसे देख
लेना दिन में एक बार
मुसीबत कम कर जाता है
भागने की कोशिश जिस
दिन भी की है तूने कभी
वो रात को तेरे सपने में
ही चला आता है
जानता है वो तुझे बस
लिखना ही आता है
इसलिये वो कुछ ऎसा
जरूर कर ले जाता है
जिसपर तू कुछ ना कुछ
लिखना शुरू हो जाता है
वैसे तेरी परेशानी का
एक ही इलाज अपनी
छोटी समझ में आता है
ऊपर वाले को ही देख
उसे उसके किसी काम पर
गुस्सा नहीं आता है
सब कुछ छोड़ कर तू
उसको ही खुदा अपना
क्यों नहीं बनाता है
खुदा का तुझे पता है
दिन में दिखना छोड़
वो किसी के सपने में
भी कभी कहाँ आता है ।
उसको देख कर ही
खौरा तू जाता है
सोचता भी नहीं
क्यों जमाने के साथ
नहीं चल पाता है
अब इसमें उसकी
क्या गलती है
अगर वो रोज तेरे
को दिख जाता है
जिसे तू जरा सा भी
नहीं देखना चाहता है
तुझे पता है उसे देख
लेना दिन में एक बार
मुसीबत कम कर जाता है
भागने की कोशिश जिस
दिन भी की है तूने कभी
वो रात को तेरे सपने में
ही चला आता है
जानता है वो तुझे बस
लिखना ही आता है
इसलिये वो कुछ ऎसा
जरूर कर ले जाता है
जिसपर तू कुछ ना कुछ
लिखना शुरू हो जाता है
वैसे तेरी परेशानी का
एक ही इलाज अपनी
छोटी समझ में आता है
ऊपर वाले को ही देख
उसे उसके किसी काम पर
गुस्सा नहीं आता है
सब कुछ छोड़ कर तू
उसको ही खुदा अपना
क्यों नहीं बनाता है
खुदा का तुझे पता है
दिन में दिखना छोड़
वो किसी के सपने में
भी कभी कहाँ आता है ।
वाह |
जवाब देंहटाएंबधाई -
पकड़ में जो शब्द आया वह खौरा आया-
इसलिए -
केवल शुभकामनायें-
चलती रहे यूँ ही यह बक बक-
चतुर कोने में जायेंगे दुबक-
हा हा हा हा
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंइस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (29-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
बहुत रोचक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह: बहुत रोचक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंअदृश्य व्यंजना और द्रश्य शब्द चित्र लिए आई है यह रचना .सच मुच कुछ लोग शब्द पीड़ित होतें हैं .शब्द की ताकत से निरंतर पिट्तें हैं पर बाज़ नहीं आते .
जवाब देंहटाएंरोचक बकबक
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंInteresting.
जवाब देंहटाएंmy post KYUN????
http://udaari.blogspot.in
रोचक रचना।
जवाब देंहटाएंप्रतीक संचेती
its nice..:)
जवाब देंहटाएंkhuda bi dar gye hai ab,en ensani fitarto de," shabdo ki tez dhar " sundar prastuti
जवाब देंहटाएंखुदा का तुझे पता है
जवाब देंहटाएंदिन में दिखना छोड़
वो किसी के सपने में
भी कभी कहाँ आता है !!
बहुत रोचक प्रस्तुति..!
बहुत रोचक प्रस्तुति...
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