अखबार आज
नहीं पढ़ पाया
हौकर शायद
पड़ौसी को
दे आया
टी वी भी
नहीं चल पाया
बिजली का
तार बंदर ने
तोड़ गिराया
सबसे अच्छा
ये हुआ कि
मै काम पर
नहीं जा पाया
आज
रविवार है
बड़ी देर में
जाकर
याद आया
तभी कहूँ
आज सुबह
से अच्छी बातें
क्यों सोची
जा रही हैं
थोड़ा सा
रूमानी
हो जाना
चाहिये
दिल की
धड़कन
बता रही है
बहुत कुछ
अच्छा सा
लिखते हैं
कुछ लोग
कैसे
लिखते होंगे
बात अब
समझ में
आ रही है
लेखन
इसीलिये
शायद
कूड़ा कूड़ा
हुआ
जा रहा है
अखबार हो
टी वी हो
या समाज हो
जो कुछ
दिखा रहा है
देखने
सुनने वाला
वैसा ही होता
जा रहा है
कुछ
अच्छी सोच
से अगर अच्छा
कोई लिखना
चाह रहा है
अखबार
पढ़ना छोड़
टी वी बेच कर
जंगल को क्यों
नहीं चले
जा रहा है ?
नहीं पढ़ पाया
हौकर शायद
पड़ौसी को
दे आया
टी वी भी
नहीं चल पाया
बिजली का
तार बंदर ने
तोड़ गिराया
सबसे अच्छा
ये हुआ कि
मै काम पर
नहीं जा पाया
आज
रविवार है
बड़ी देर में
जाकर
याद आया
तभी कहूँ
आज सुबह
से अच्छी बातें
क्यों सोची
जा रही हैं
थोड़ा सा
रूमानी
हो जाना
चाहिये
दिल की
धड़कन
बता रही है
बहुत कुछ
अच्छा सा
लिखते हैं
कुछ लोग
कैसे
लिखते होंगे
बात अब
समझ में
आ रही है
लेखन
इसीलिये
शायद
कूड़ा कूड़ा
हुआ
जा रहा है
अखबार हो
टी वी हो
या समाज हो
जो कुछ
दिखा रहा है
देखने
सुनने वाला
वैसा ही होता
जा रहा है
कुछ
अच्छी सोच
से अगर अच्छा
कोई लिखना
चाह रहा है
अखबार
पढ़ना छोड़
टी वी बेच कर
जंगल को क्यों
नहीं चले
जा रहा है ?
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज सोमवार (13-05-2013) माँ के लिए गुज़ारिश :चर्चामंच 1243 में "मयंक का कोना" पर भी है!
सभी को मातृदिवस की बधाई हो...!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
bahut khub
जवाब देंहटाएंmere blog par ek najar daalen abhaar
http://guzarish6688.blogspot.in/2013/05/blog-post_12.html
बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति
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