नारद जी को
ये जरा भी
ज्यादा
नुकसान
कुछ उनको
नहीं होता है
देवताओं
के राज्य में
वैसे भी
उनके काम
कौन सा
हो पाते हैं ।
ये जरा भी
समझ में
नहीं आता है
देवताओं और
असुरों से
साथ साथ
आखिर क्यों
नहीं रहा जाता है
कितने साल
देखिये हो गये
कितने असुर
असुर नहीं रहे
देवता जैसे
ही हो गये
देवताओं का
असुरों में
असुरों का
देवताओं में
आना जाना
भी अब
नहीं आता है
देवताओं और
असुरों से
साथ साथ
आखिर क्यों
नहीं रहा जाता है
कितने साल
देखिये हो गये
कितने असुर
असुर नहीं रहे
देवता जैसे
ही हो गये
देवताओं का
असुरों में
असुरों का
देवताओं में
आना जाना
भी अब
देखा ही जाता है
नारद जी को
वैसे तो
देवता ही
माना जाता है
असुरों के यहाँ
आना जाना
लेकिन उनका
बहुत बार देखा
सुना जाता है
बहुत
समय से
इसीलिये
जुगाड़
लगा रहे हैं
असुरों को
देवताओं में
मिलाने का मिशन
अपना ध्येय
बना रहे हैं
देवता तो
हमेशा बहुमत
में होते हैं
क्योंकी वो तो
देवता लोग होते हैं
ये बात
कोई
नहीं देखता
कुछ देवता
देवताओं के
कहने पर
नहीं जाते हैं
पर देवता तो
देवता होते हैं
गिनती में
देवताओं के
साथ ही हमेशा
गिने जाते हैं
असुर तो
हमेशा से ही
अल्पसंख्या
में पाये जाते हैं
मौका
मिलता है कभी
अपने काम के लिये
देवता हो जाने में
नहीं हिचकिचाते हैं
बेवकूफ
लेकिन हमेशा
ही नहीं बनाये जाते हैं
समझते हैं
सारे असुर
अगर देवताओं के
साथ चले जायेंगे
अभी
छुप कर करते हैं
जो मनमानी
उसे करने के लिये
खुले आम मैदान में
निकल के आ जायेंगे
यही सब सोच कर
असुर रुक जाते हैं नारद जी को
वैसे तो
देवता ही
माना जाता है
असुरों के यहाँ
आना जाना
लेकिन उनका
बहुत बार देखा
सुना जाता है
बहुत
समय से
इसीलिये
जुगाड़
लगा रहे हैं
असुरों को
देवताओं में
मिलाने का मिशन
अपना ध्येय
बना रहे हैं
देवता तो
हमेशा बहुमत
में होते हैं
क्योंकी वो तो
देवता लोग होते हैं
ये बात
कोई
नहीं देखता
कुछ देवता
देवताओं के
कहने पर
नहीं जाते हैं
पर देवता तो
देवता होते हैं
गिनती में
देवताओं के
साथ ही हमेशा
गिने जाते हैं
असुर तो
हमेशा से ही
अल्पसंख्या
में पाये जाते हैं
मौका
मिलता है कभी
अपने काम के लिये
देवता हो जाने में
नहीं हिचकिचाते हैं
बेवकूफ
लेकिन हमेशा
ही नहीं बनाये जाते हैं
समझते हैं
सारे असुर
अगर देवताओं के
साथ चले जायेंगे
अभी
छुप कर करते हैं
जो मनमानी
उसे करने के लिये
खुले आम मैदान में
निकल के आ जायेंगे
यही सब सोच कर
ज्यादा
नुकसान
कुछ उनको
नहीं होता है
देवताओं
के राज्य में
वैसे भी
उनके काम
कौन सा
हो पाते हैं ।
बहुत बढिया..सुशील जी..आभार
जवाब देंहटाएंबढ़िया है आदरणीय -
जवाब देंहटाएंआभार -
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 30 अप्रैल 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंदेवताओं
जवाब देंहटाएंके राज्य में
वैसे भी
उनके काम
कौन सा
हो पाते हैं । बेहतरीन प्रस्तुति
वाह !बेहतरीन आदरणीय
जवाब देंहटाएंसादर
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 23 अक्टूबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंदेवता और असुरों पर आपने बेजोड़ लिखा है, परंतु नारज जी ऐसे संदेशवाहक ( रिपोर्टर ) रहें कि दोनों में ही उनकी पहुँच थी और दोनों ही उनका सम्मान करते थें, परंतु कार्य वे देवों का ही करते थें क्यों शास्त्र देवताओं की मंशा को कल्याणकारी बताता है।
जवाब देंहटाएंहम संवाददाताओं के लिये भी यह सबक है कि पक्ष- विपक्ष सबकी सुने, परंतु लेखनी सत्य का अनुसरण करे।
प्रणाम।
असुर तो
जवाब देंहटाएंहमेशा से ही
अल्पसंख्या
में पाये जाते हैं
मौका
मिलता है कभी
अपने काम के लिये
देवता हो जाने में
नहीं हिचकिचाते हैं।
बात यदि यहीं तक सीमित होती तब भी ठीक था न सर, अब तो देवता भी अपने वे काम निकालने के लिए असुर हो जाने में नहीं हिचकिचाते, जो काम वे देवता रहते हुए नहीं कर पाते !!!