कब तक पीटेगा एक कनिस्तर
कभी बड़ा एक ढोल भी पीट
घर के फटे पर्दे छोड़ टांगना
नंगी धड़ंगी सही
पीठ ही पीट
पीठ ही पीट
आती हो बहुसंख्यकों को समझ में
ऎसी अब ना कोई
लीक पीट
लीक पीट
अपने घर के कूडे़ को कर किनारे
कहीं छिपा ना दिखा
दूर की एक कौड़ी लाकर
सरे आम शहर के
बीच पीट
बीच पीट
क ख से कब तक करेगा शुरु
समय आ गया है अब
एक महंगा शब्दकोश
ला कर के पीट
पीट रहे हैं
सब जब कुछ ना कुछ
किनारे में जा कर अपने लिये ही जब
तू अपने लिये
अब तो पीटना ले इन से कुछ सीख
कुछ तो पीट
कुछ तो पीट
कुछ ना मिल पा रहा हो कहीं अगर तुझे तो
छाती अपनी ही खोल
और
खुले आम पीट
खुले आम पीट
मक्खियाँ भिनभिनायें
गिद्ध लाशों को खायें
किसने कहा जा कर के देख
समझदारी बस दिखा
महामारी फ़ैलने की
खबर पीट
खबर पीट
घर की मुर्गी उड़ा कबूतर दिल्ली से ला
ओबामा का कव्वा
बता कर
के पीट
बता कर
के पीट
पीटना है नहीं तुझको जब छोड़ना
कुछ बड़ा सोच कर
बड़ी बातें ही पीट
बड़ी बातें ही पीट
कब तक पीटेगा एक कनिस्तर
कभी एक बड़ा ढोल
भी पीट ।
भी पीट ।
चित्र साभार: https://www.cffoxvalley.org/
सुंदर सृजन,बहुत उम्दा प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें.
सुन्दर प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआपका आभार-
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.आभार..
जवाब देंहटाएंझंझोरती हुई सी
जवाब देंहटाएं