शायद किसी दिन
कुछ लिखने के
कुछ लिखने के
काबिल हो जाऊँ
और पा लूँ एक
अदद पाठक भी
ऐसा पाठक जो
पढ़े मेरे लिखे हुऐ को
बहुत ध्यान से
और समझा भी दे
मुझे ही भावार्थ
मेरे लिखे हुऐ का
लिखने की चाह
होना काफी नहीं होता
बहुत ज्यादा और
कुछ भी लिख देना
कागज भरना
कलम घिस देना
ऐसे में कई बार
आँखों के सामने
आ जाता है कभी
एक बच्चा जो
बहुत शौक से
बहुत सारी लाईने
बनाता चला जाता है
कागज ही नहीं
दीवार पर भी
जमीन पर और
हर उस जगह पर
जहाँ जहाँ तक
उसकी और उसकी
कलम की नोक
की पहुँच होती है
उसके पास बस
कलम होती है
कलम पर बहुत
मजबूत पकड़ होती है
बस उसकी सोच में
शब्द ही नहीं होते हैं
जो उसने उस समय
तक सीखे ही
नहीं होते हैं
इसी तरह किसी
खुशमिजाज दिन की
उदास होने जा रही
शाम जब शब्द
ढूँढना शुरु होती है
और माँगती है
किसी आशा से
मुझ से कुछ
उसके लिये भी
कह देने के लिये
दो चार शब्द
जो समझा सकें
मेरे लिखे हुऐ में
उसको उसकी उदासी
और उस समय मैं
एक छोटा सा बच्चा
शुरु कर देता हूँ
आकाश में
लकीरें खीँचना
उस समय
महसूस होता है
काश मैं भी
एक लेखक होता
और उदास शाम
मेरी पाठक
क्या पता किसी दिन
कोई लकीर कुछ कह दे
किसी से कुछ इतना
जिसे बताया जा सके
कि कुछ लिखा है ।
चित्र साभार: www.lifespirals.com.au
कलम होती है
कलम पर बहुत
मजबूत पकड़ होती है
बस उसकी सोच में
शब्द ही नहीं होते हैं
जो उसने उस समय
तक सीखे ही
नहीं होते हैं
इसी तरह किसी
खुशमिजाज दिन की
उदास होने जा रही
शाम जब शब्द
ढूँढना शुरु होती है
और माँगती है
किसी आशा से
मुझ से कुछ
उसके लिये भी
कह देने के लिये
दो चार शब्द
जो समझा सकें
मेरे लिखे हुऐ में
उसको उसकी उदासी
और उस समय मैं
एक छोटा सा बच्चा
शुरु कर देता हूँ
आकाश में
लकीरें खीँचना
उस समय
महसूस होता है
काश मैं भी
एक लेखक होता
और उदास शाम
मेरी पाठक
क्या पता किसी दिन
कोई लकीर कुछ कह दे
किसी से कुछ इतना
जिसे बताया जा सके
कि कुछ लिखा है ।
चित्र साभार: www.lifespirals.com.au