जब
गाँधी
मारा गया था
तब
वो
पैदा भी
नहीं हुआ था
उसकी
किताबों से
उसे
बताया गया था
गाँधी
जिस दिन
पैदा हुआ था
असल में
उस दिन
शास्त्री
पैदा
हुआ था
जो
असली था
सच था
उसने
ना
गाँधी को
पढ़ा था
ना ही
उसे
शास्त्री
का
ही
पता था
उसे
समझाया
गया था
गाँधी
मरते
नहीं है
शास्त्री
मरते हैं
इसलिये
गाँधी की
मुक्ति के लिये
शास्त्री
जरुरी है
कभी
कोई
गाँधी की
बात करे
उसे
तुरन्त
शास्त्री
की बात
शुरु
कर देनी
चाहिये
गाँधी
अभी तक
जिन्दा है
और
इसी बात की
शर्मिंदगी है
उसकी
मुक्ति
नहीं
हो पा रही है
देख लो
अभी भी
याद किया
जा रहा है
आज
उसकी
एक सौ
पचासवीं
जयन्ती है
गाँधी को
तब
गोली लगी थी
वो
मरा
नहीं था
मर तो
वो
आज रहा है
रोज
उसे
तिल तिल
मरता
हर कोई
देख रहा है
‘उलूक’
समझाकर
कोई
कुछ
इसलिये
नहीं कह रहा है
क्योंकि
कहीं
गाँधी
होने की
अतृप्त
इच्छा के साथ
पर्दे
के पीछे से
धीरे धीरे
गाँधी
होने के लिये
सत्य अहिंसा सत्याग्रह
नाटक
के
अभ्यास के लिये
रोज
एक मंचन
का
अभिनव प्रयोग
हो रहा है ।
चित्र साभार: https://www.facebook.com/pg/basavagurukul/posts/
गाँधी
मारा गया था
तब
वो
पैदा भी
नहीं हुआ था
उसकी
किताबों से
उसे
बताया गया था
गाँधी
जिस दिन
पैदा हुआ था
असल में
उस दिन
शास्त्री
पैदा
हुआ था
जो
असली था
सच था
उसने
ना
गाँधी को
पढ़ा था
ना ही
उसे
शास्त्री
का
ही
पता था
उसे
समझाया
गया था
गाँधी
मरते
नहीं है
शास्त्री
मरते हैं
इसलिये
गाँधी की
मुक्ति के लिये
शास्त्री
जरुरी है
कभी
कोई
गाँधी की
बात करे
उसे
तुरन्त
शास्त्री
की बात
शुरु
कर देनी
चाहिये
गाँधी
अभी तक
जिन्दा है
और
इसी बात की
शर्मिंदगी है
उसकी
मुक्ति
नहीं
हो पा रही है
देख लो
अभी भी
याद किया
जा रहा है
आज
उसकी
एक सौ
पचासवीं
जयन्ती है
गाँधी को
तब
गोली लगी थी
वो
मरा
नहीं था
मर तो
वो
आज रहा है
रोज
उसे
तिल तिल
मरता
हर कोई
देख रहा है
‘उलूक’
समझाकर
कोई
कुछ
इसलिये
नहीं कह रहा है
क्योंकि
कहीं
गाँधी
होने की
अतृप्त
इच्छा के साथ
पर्दे
के पीछे से
धीरे धीरे
गाँधी
होने के लिये
सत्य अहिंसा सत्याग्रह
नाटक
के
अभ्यास के लिये
रोज
एक मंचन
का
अभिनव प्रयोग
हो रहा है ।
चित्र साभार: https://www.facebook.com/pg/basavagurukul/posts/