कुछ किताबें पुरानी
अपने खुद के वजूद
के लिये संघर्षरत
पुस्तकालय में
कुछ पुराने चित्र
सरकारी संग्रहालय में
कुछ मूर्तियां खड़ी
कुछ बैठी कुछ खंडित
कुछ उदघाटन के
इंतजार में
गोदामों में पड़ी
कुछ पार्क कुछ मैदान
कुछ सड़कों कुछ गलियों
कुछ सरकारी संस्थानो
के रखे गये नाम
बापू और लाल बहादुर
के जन्मदिन दो अक्टूबर
की पहचान राष्ट्रीय अवकाश
काम का आराम
सत्य अहिंसा सादगी
बेरोजगार बेकाम
कताई बुनाई देशी श्रम
दाम में छूट कुछ दिन
खादी का फैशन
एक दुकान गांधी आश्रम
सफेद कुर्ते पायजामे
लूट झूठ की फोटोकापी
भ्रष्टाचार व्यभिचार को
ऊपर से ढकती हुई
सर पर गांधी टोपी
एक नया शब्द
एक नयी खोज
मुन्नाभाई शरीफ
की गांधीगिरी
गांधी की दादागिरी
सत्य अहिंसा और
धर्म की फाईलें
न्यायालय में लम्बित
सब कुछ सबके
व्यव्हार में साफ
साफ प्रतिबिम्बित
एक फूटा हुआ बरतन
लाभ का नहीं
मतलब का नहीं
आज के समय में
नई पीढ़ी को कहां
फुरसत ऐसी वैसी
बातों के लिये
जिसमें नहीं हो
कोई आकर्षण
वैसे भी होता होगा
कभी कहीं गांधी
और गांधी दर्शन ।
अपने खुद के वजूद
के लिये संघर्षरत
पुस्तकालय में
कुछ पुराने चित्र
सरकारी संग्रहालय में
कुछ मूर्तियां खड़ी
कुछ बैठी कुछ खंडित
कुछ उदघाटन के
इंतजार में
गोदामों में पड़ी
कुछ पार्क कुछ मैदान
कुछ सड़कों कुछ गलियों
कुछ सरकारी संस्थानो
के रखे गये नाम
बापू और लाल बहादुर
के जन्मदिन दो अक्टूबर
की पहचान राष्ट्रीय अवकाश
काम का आराम
सत्य अहिंसा सादगी
बेरोजगार बेकाम
कताई बुनाई देशी श्रम
दाम में छूट कुछ दिन
खादी का फैशन
एक दुकान गांधी आश्रम
सफेद कुर्ते पायजामे
लूट झूठ की फोटोकापी
भ्रष्टाचार व्यभिचार को
ऊपर से ढकती हुई
सर पर गांधी टोपी
एक नया शब्द
एक नयी खोज
मुन्नाभाई शरीफ
की गांधीगिरी
गांधी की दादागिरी
सत्य अहिंसा और
धर्म की फाईलें
न्यायालय में लम्बित
सब कुछ सबके
व्यव्हार में साफ
साफ प्रतिबिम्बित
एक फूटा हुआ बरतन
लाभ का नहीं
मतलब का नहीं
आज के समय में
नई पीढ़ी को कहां
फुरसत ऐसी वैसी
बातों के लिये
जिसमें नहीं हो
कोई आकर्षण
वैसे भी होता होगा
कभी कहीं गांधी
और गांधी दर्शन ।
सुंदर सृजन !
जवाब देंहटाएंRECENT POST : मर्ज जो अच्छा नहीं होता.
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल गुरुवार (03-10-2013) को "ब्लॉग प्रसारण : अंक 135" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.
जवाब देंहटाएंमहापुरुषों को नमन-
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति-
आभार आदरणीय-