हजूर आप करते क्या हैं
हम करते तो हैं कुछ
लेकिन उस करने का बस वेतन खाते हैं
बाकि काम बहुत हैं
धन्धों के अंदर के कुछ धन्धों की बात बताते हैं
धन्धों के अंदर के कुछ धन्धों की बात बताते हैं
पता नहीं समझेंगे भी या नहीं
हम लोगों की छवि बनाते हैं
फिर उसे सारे समाज में फैलाते हैं
हम लोगों की छवि बनाते हैं
फिर उसे सारे समाज में फैलाते हैं
वो बात अलग है
अपने घर के सारे आईने
कपड़े में लपेट कर नदी में बहा आते हैं
हमें अपना चेहरा याद नहीं रहता है
हम सामने वाले का चेहरा चेहरों को याद दिलाते हैं
समाज नहीं देखता है हमें
हराम की खाते हुऐ सालों साल तक
हम काम में लगे हुऐ किसी भी आदमी को
हराम का खा रहा है की कहानी का नायक बनवाते हैं
हराम का खा रहा है की कहानी का नायक बनवाते हैं
जमाना हम से चल रहा है
हम जमाने को चलाते हैं
हम से नहीं चल पाता है जो भी
उसका चलना फिरना बन्द करवाते हैं
उसका चलना फिरना बन्द करवाते हैं
हमारी फोटो अखबार वाले
हमारे घर से ले जाते हैं
सुबह की खबर हम ही छपवाते हैं
शाम होते ही साथ बैठते हैं हम और वो
काँच के कुछ गिलास टकराते हैं
काँच के कुछ गिलास टकराते हैं
बदनाम हम नहीं हो सकते हैं कभी भी
हम बदनाम करवाते हैं
धन्धे कहाँ बन्द हो रहें हैं हजूर
हम धन्धों के अन्दर भी धन्धे पनपाते हैं
हम धन्धों के अन्दर भी धन्धे पनपाते हैं
‘उलूक’ तू लिख और लिख कर इधर उधर चिपका
हम तेरे जैसे एक नहीं
कई की अपने हिसाब से छवि बना कर
दीवार दीवार चिपकाते हैं
कई की अपने हिसाब से छवि बना कर
दीवार दीवार चिपकाते हैं
हम छवि बनाते हैं
हम छवि बना बना कर फैलाते हैं
खुली आँखों पर परदे डलवा कर उजाला बेच खाते हैं ।
हम छवि बना बना कर फैलाते हैं
खुली आँखों पर परदे डलवा कर उजाला बेच खाते हैं ।
चित्र साभार: https://www.canstockphoto.com/
ulooktimes.blogspot.com २३-०८-२०२०
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