तितली उड़ तोता उड़ कौआ उड़
कहते कहते बीच में
पेड़ उड़ कह जाना
सामने वाले के पेड़ उड़ कहते ही
तालियाँ बजाना
बेवकूफ बन गया
पेड़ उड़ कह गया
सोच सोच के बहुत खुश हो जाना
ऎसे ही
बचपन के खेल और तमाशों का
धीरे धीरे धुंधला पड़ते चले जाना
धीरे धीरे धुंधला पड़ते चले जाना
समय की बलिहारी
कोहरे का धीरे धीरे हटते चले जाना
गुणा भाग करते करते
उम्र निकाल ले जाना
पेड़ नहीं उड़ता है सबको समझाना
परीक्षा करवाना परीक्षाफल का आना
पेड़ उड़ कहने वालों का
बहुत ज्यादा अंको से पास हो जाना
तितली तोते कौऎ उड़ कहने वालों का
ढेर हो जाना
ढेर हो जाना
लोक और उनके तंत्र का
उदाहरण सहित समझ में आ जाना ।
तोता चिड़िया जा छिपे, निकलेंगे अब भोर।
जवाब देंहटाएंपाकर के अंधियार को, उल्लू करते शोर।।
तितली उड़ कौआ उड़ा, उल्लू उड़ा बताय |
जवाब देंहटाएंआज उड़ाते पेड़ भी, धरा सफा हो जाय |
धरा सफा हो जाय, पेड़ पर नंबर ज्यादा |
पक्षी सारे आज, बदलने लगे इरादा |
वैसे उड़ते लोग, उड़ाते बाप कमाई |
बच्चों का यह खेल, बड़ी बेईमानी लाई ||
आपकी प्रस्तुति का असर ।
जवाब देंहटाएंबनी है शुक्रवार की खबर ।
उत्कृष्ट प्रस्तुति चर्चा मंच पर ।।
आइये-
सादर ।।
बहुत ही सामायिक और सच्ची पंक्तिया हैं ...वाकई पेड उड़ गए ..दुखद हैं ...अब नए वृक्ष वापस लगा कर पेड उड़ करने के लिए भी बरसो चाहिए
जवाब देंहटाएंवाह!सराहनीय सृजन सर।
जवाब देंहटाएंयही भाव मेरे मन में काफ़ी बार उमड़ते रहते है।
सादर