इधर जा
उधर जा
देखना मत
झांक आ
कहीं रूखा है
कहीं सूखा है
कहीं झरने हैं
कहीं बादल हैं
कोई खुश है
कोई बिदका है
जैसा भी है
कुछ लिखता है
इधर जा
उधर जा
झांक मत
देख आ
किसी का
अपना है
किसी का
सपना है
वो बनाता है
ये ढूँढ लाता है
उसकी आदत है
इधर जाता है
उधर जाता है
इसका लाता है
उसको दिखाता है
अपनी प्रोफाइल पर
कौए उड़ाता है
इधर जा
उधर जा
झाँक मत
देख मत
अपना खाना
अपना पीना
सब कुछ रख
फेंक मत
कैलेण्डर ला
दीवार पर लगा
अपनी तारीख
किसी को
ना बता
जाली चढ़ा
शीशे लगा
कुछ दिखे
बाहर से
काला भूरा
पेंट लगा
इधर जा
उधर जा
रुक जा
चुप हो जा
फालतू
ना सुना ।
उधर जा
देखना मत
झांक आ
कहीं रूखा है
कहीं सूखा है
कहीं झरने हैं
कहीं बादल हैं
कोई खुश है
कोई बिदका है
जैसा भी है
कुछ लिखता है
इधर जा
उधर जा
झांक मत
देख आ
किसी का
अपना है
किसी का
सपना है
वो बनाता है
ये ढूँढ लाता है
उसकी आदत है
इधर जाता है
उधर जाता है
इसका लाता है
उसको दिखाता है
अपनी प्रोफाइल पर
कौए उड़ाता है
इधर जा
उधर जा
झाँक मत
देख मत
अपना खाना
अपना पीना
सब कुछ रख
फेंक मत
कैलेण्डर ला
दीवार पर लगा
अपनी तारीख
किसी को
ना बता
जाली चढ़ा
शीशे लगा
कुछ दिखे
बाहर से
काला भूरा
पेंट लगा
इधर जा
उधर जा
रुक जा
चुप हो जा
फालतू
ना सुना ।
काश लोग समझ पाते !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार (17-07-2012) को चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
आज का दर्शन तो बहुत ऊन्चेस्तर का है-
जवाब देंहटाएंबधाई भाई जी ||
क्या कहने !
जवाब देंहटाएंऐसे ही हो गए हैं लोग आजकल।
बहुत खूब|||
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना:-)
उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंगहन ...सहजता से कटु सत्य कहा ...!!
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें.
ख़ामोशी से जैसे जीना चाहे जीता जा
जवाब देंहटाएंवाह: बहुत खूब..
जवाब देंहटाएंगहन भाव लिए उत्कृष्ट लेखन ...आभार
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