स्कूल कालेज
सरकारी हो
या
गैर सरकारी
किसी की
संपत्ति थोड़े
ना हो जाता है
उस पर
अधिकार
होता है
तो
केवल उसका
जिसकी
दीवार से
आसानी से कूड़ा
शिक्षाकेन्द्र के
अंदर तक
किसी तरह
फेंका जाता है
फायदे ही
फायदे
गिन लीजिये
अंगुलियों में
उस
के लिये
जो ऎसी
जगह पर
मकान एक
बना ही
ले जाता है
घर तक
जाने के लिये
मेटल्ड रोड
स्कूल ही
दरवाजे तक
खुद ही
पहुँचा जाता है
कार रख
सकता है
अपनी
और
और
किराये पर
दूसरे तीसरे
की भी
गैरेज बनाने
के खर्चे से
सीधे सीधे
बच जाता है
बेवकूफ
मैदान इसी के
तो काम
में आता है
फर्नीचर
की
जरूरत में
चारपाईयों
की ही हो
सकती है
क्योंकि वो ही
एक फर्नीचर
होता है जो
कालेज में
कम ही
खरीदा
जाता है
कुर्सी मेज
कितनी हैं
कौन गिनने में
लगा रहता है
अगर कोई
अपने घर
को भी
दो चार एक
उठा ले
जाता है
गाय पालन
आसान
और गाय
का दूध
सस्ता मिल
जाता है
घास मैदान
में उगती है
और
गोबर कालेज
का जमादार
जब
उठा ले जाता है
उठा ले जाता है
पानी बिजली
की
जरूरत
जरूरत
रात को तो
होती नहीं वहां
इसलिये ये
दोनो रात के
लिये ही बस
ले जाता है
देखो कितना
मितव्ययी होकर
बर्बाद होने से
दोनो महंगी
चीजों को
बचाता है
अब इन
छोटी छोटी
चीजों को
कहने के लिये
किसके पास
फुर्सत है
स्कूल कालेज
किसी का
अपना ही
घर जैसा
थोड़े ना
हो जाता है
ज्यादा
ही
परेशानी
किसी
किसी
को हो
रही होती है
समस्याओं
से
से
इस तरह
की
कहीं तो
कहीं तो
दिल्ली में
बैठी तो है
इंदिरा की बहू
उसके के
सर में जाकर
इसका भी
ठीकरा
फोड़ने में
क्या जाता है।
blog ka naam bahut pasand aayaa .kyonki jise duniya nahi dekh paati usse aapaka u,,times dekh leta hai.sadhuwad sir.thanxs 4 comments
जवाब देंहटाएं