उलूक टाइम्स: चुनाव
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रविवार, 22 जनवरी 2012

नेता और हैलीकौप्टर

पहाड़ी गांव में
स्कूल हस्पताल
अब रहने दो
मत ही बनाओ
टीचर डाक्टर
कुछ वहां जो
मजबूरी में
आ ही जाते थे
तैनाती उनकी भी
अब मत करवाओ
छोटी मोटी जरूरत
की चीजें भी गांव
वालों को दिलवाने की
अब जरूरत नहीं है
पहाड़ी गांवों से
हो रहा है पलायन
किसी को भी
अब मत बताओ
पहाड़ के गांव का
एक माडल मेरे
खाली दिमाग में
पता नहीं कहां से
आ रहा है
उसे प्रयोग में लाओ
और मेरा एक वोट
ले के जाओ
बता रहा हूँ
अभी के अभी
गोबर के अंदर ये
आईडिया मेरे दिमाग
में कहां से घुस आया
कल जब खंण्डूरी
एक हैलीकौप्टर लेकर
मेरे शहर के आसमान
में मडराया
आज वही तमाशा
दो हैलीकौप्टर के सांथ
सोनिया ने भी दोहराया
पिछली आपदा ने अधिकतर
पहाड़ी मार्गों को
जब से है बहाया
कोई भी नेता मेरे शहर में
सड़क के रास्ते घुसने से
बहुत ही घबराया
लेकिन ये मेरी समझ
में अब है आया
लोग तो लोग
कोई भी प्रतिनिधी
इस मामले को सामने
क्यों नहीं लाया
शायद विकास अब
पहाड़ का होने ही
वाला है
इलेक्शन होते ही
एक एक गांव
यहां का
एक एक हैलीपैड
पाने वाला है
फिर कुछ भी जरूरी
नहीं रह जायेगा
पाँच साल मे एक बार नहीं
हर समय पहाडों के
उपर हैलीकौप्टर मडरायेगा
पहाड़ी गांव का वासी
सब कुछ ही पा जायेगा
पलायन भी नहीं होगा
एक हैलीकौप्टर उड़ायेगा
दो घंटे में अपने को
देश की राजधानी में पायेगा
जो मर्जी में आयेगा
वो सब कर ले जायेगा।

शुक्रवार, 20 जनवरी 2012

बहुमत

बहुमत से
जीतना
अच्छा
होता होगा

जो आज हैं
वो भी
बहुमत से हैं
जो कल होंगे
वो भी
बहुमत से
ही होंगे

बहुमत
लोग ही
बनाया
करते हैं
फिर
बहुमत पर
लोग ही
गुर्राया
करते हैं

मैं तो अपने
आस पास के
बहुमत से
परेशान हूँ

बहुमत
लोग अपनी
सुविधा से
ही बनाते
आये हैं

मेरे
आसपास
मैंंने
महसूस
किया है
बहुमत को
बहुत
नजदीकी से

लोग
लगे हैं
मट्ठा
डालने में
बहुमत से

हमसे
नाराज भी
हो जाते हैं
लोग
बहुमत के

हमने
लेकिन हमेशा
अपने को
अल्पमत में
पाया है

बहुत से
लोग
बहुमत
के साथ
अभी भी
जा रहे हैं

अपने लिये
अल्पमत
का गड्ढा
सजा रहे हैं

क्या किया
जा सकता है
कुछ नहीं
कभी नहीं
कोई नहीं
जान पायेगा
कभी
कि
बहुमत
कितनी
चालाकी से
बनाया
जाता है

गलत
बातों को
इस तरह
से सजाया
जाता है
किसी को
भी पता
नहीं चल
कभी पाता है
कि
वो जा
रहा है
बहुमत
के साथ
अपने
लिये ही
एक कब्र
तैयार
करने
के लिए

जाग जाओ
ऎसा बहुमत
मत बनाओ।

शुक्रवार, 13 जनवरी 2012

उलूक उवाच अथ चुनाव कथा


दूरदृष्टि
पक्के इरादे
के
साथ

संभाली है
कमान

एक
अच्छे
आदमी
के

चुनाव
की

कुछ
बुरे 
लोगों
की
फौज ने

अच्छे
के
कंधे

अभी
मजबूत
किये
जा रहे हैं

चुनाव
के बाद

गोलियां
इसी कंधे
से
चलाने के लिये

कुछ
अच्छे लोगों
ने

संभाली है
बागडोर

एक
बुरे आदमी
के
चुनाव प्रचार
की

इरादे
नेक हैं
निशाना
एक है

अच्छे
के साथ
भी है
एक भीड़

बुरे
के साथ
भी 
है
दूसरी भीड़

एक
के बाद एक

रोज
निकल के
आ रही हैं
भीड़े
सड़क पर
लगातार

लोग
लगा रहे हैं
गणित
चाय के
खोमचों पर
हमेशा
की तरह
आजकल

अन्ना
और उसकी
सफेद
टोपियां भी
खो गयी हैं

पता 
नहीं
कहां

इन सब
समीकरणों
के बीच

मुझे
मालूम है

मैने
भी
देना है
एक वोट

इन
सभी
भ्रमों से
उलझते हुवे

कुछ
दिन बाद
और

फिर
भूल जाना है
कुछ
सालों के लिए।

गुरुवार, 12 जनवरी 2012

मतदान दूर है

शतरंंज खेलना
हर किसी को
यहाँ कहाँ आता है
फिर भी कोशिश कर
वो एक बिसात
बिछाता है।
काले या सफेद नहीं
मोहरों को दोनो
ओर से चलाता है
हारना नहीं चाहता है
जीतने वाले को
अपना बताता है।
खेल देखने वालों को
कभी भी पता
नहीं चल पाता है
वो कब इधर और
कब उधर पाला
बदल चला जाता है।
लेकिन किस्मत और
उपर वाले के खेल
को कौन भांप
कभी पाता है
जब अचानक
बिसात का एक
मोहरा अपनी
चाल खुद ब खुद
चलता चला
जाता है
बहुत लम्बा
कितना भी
लम्बा खेल
खेलने वाला
क्यों न हो
अपनी ही
चाल में एक बार
कभी कभी
फंस ही जाता है।

बुधवार, 11 जनवरी 2012

चुनाव और मास्टर की सोच

चुनाव का
बुखार
आज भी
बहुत तेजी
दिखा रहा था

मैं मास्टर
समर्थकों की
भीड़ से
बचता हुवा
जा रहा था

मास्टरी
दिमाग
फिर हमेशा
की तरह
कुलबुला
रहा था

सोच रहा था
इस खर्चीले
चुनाव की
जगह परीक्षा
अगर करा
दी जाये

नेता देश
के एक
राष्ट्र व्यापी
परीक्षा
से चुने जायें

कुछ शेषन
या अन्ना
जैसे कड़क
परीक्षा नियंत्रक
नियुक्त कर
दिये जायें

नकल करने
की बिल्कुल
भी इजाजत
ना दी जाये
और
आशावाद
चढ़ते ही
जाने लगा
आसमान

अचानक
फिर से
निराशा ने
दिया एक
झटका
और
कराया मुझे
ये भान
परीक्षा तंत्र
भी तो इसी
देश का
काम करायेगा

नकल जो
नहीं कर पाया
मास्टर को
घूस दे कर
के आयेगा

अन्ना की
ये कोशिश
कहीं फिर
एक बार
धोखा खायेगी

टोपी सफेद
जिन लोगों
ने भुनाई
इस बार
परी़क्षा होगी
तो भी उनकी
ही कौपी
नम्बर लायेगी

फिर से
सबसे कम
पढ़ने वाला
प्रथम आयेगा

अनपढ़ ही
इस देश को
लगता है
हमेशा चलायेगा।

मंगलवार, 10 जनवरी 2012

चुनाव

नामांकन दर नामांकन
चहल पहल नगर में
नजर हर जगह
आ रही थी
गुजरा जब आज बाजार से
दारू दिखी तो नहीं कहीं
पर खुश्बू चारों ओर से
बयार की तरह आ रही थी
रसायन शास्त्री की नाक
ईथायल एल्कोहल है
कहीं आसपास करके
उसे बार बार बता रही थी
ठंड बहुत थी
लाजमी है गरमी की
जरूरत भी हो जाती है
दारू अंदर जाती है
इतनी अहसान फरोश
भी नहीं होती है
गरमी तो पैदा
कर ही जाती है
कई दलों के समर्थक
दिखाई दे रहे थे
पता नहीं चल रहा था
किसके कितनी गटकाये हुवे थे
आचार संहिता में शराब
पीने पर पाबंदी
नहीं होती है शायद
इतना क्या कम नहीं है कि
चुनाव आयोग के लोग
नहीं लगाये हुवे थे
इस सारी खुश्बू का
हिसाब किस हिसाब
में जोड़ा जायेगा
ये तो चुनाव आयोग
ही बता पायेगा
ना जुड़े कोई बात नहीं
वोट तो पड़ ही जायेगा ।

सोमवार, 9 जनवरी 2012

इतवारी मुद्दा

दैनिक हिन्दुस्तान रविवार का पन्ना छ:
पढ़ कर हुवा मैं भावुक और गया बह ।

शिक्षक संघर्ष समिति खफा सुन राज्य सरकार
वादाखिलाफी का लगाया आरोप किया खबरदार।

खबर है "बेरोजगार और शिक्षक सरकार से खफा"
"बेरोजगार शिक्षक" होती तो ज्यादा आता मजा।

विपक्ष के हो गये मजे सरकार को नहीं देगें ये अब वोट
साठ से पैंसठ नहीं किये हैं ये अब खायेंगे देखो चोट।

इतना जरूर अच्छा हुवा है कोई नहीं बदला अपना दल
सरकार के दल वाला नहीं गया और कहीं पाला बदल।

इस बार सरकार के दल वाले शिक्षक हो गये थोड़ा विफल
सांठ गांठ है ही विपक्ष के शिक्षक शायद अब दें तकदीर बदल।

चिंता की कोई बात नहीं है सरकार जिसकी भी आयेगी
बहुत जोर है बूढे़ बाजुओं में पैंसठ जरुर करवायेगी।

बाकी खबर खबर है ये बेरोजगार कैसे फंसे खबर में
शायद सोचे होंगे रास्ता साफ हो जायेगा ये तो जायेंगे कबर में।

बुधवार, 28 दिसंबर 2011

चुनाव

चूहा कूदा फिर कूदा
कूद गया फिसल पड़ा
एक कांच के गिलास
में जाकर डूब गया
छटपटाया फड़फड़ाया
तुरंत कूद के बाहर
निकल आया
सामने देखा तो
दिखाई दे गयी
अचानक उसे
एक बिल्ली
पर ये क्या
बिल्ली तो
नांक मुंह
सिकोड़ने
लगी
चूहे से मुंह
मोड़ने लगी
चूहा कुछ फूलने
सा लगा
थोड़ा थोडा़ सा
झूमने भी लगा
बिल्ली को देख कर
पूंछ उठाने लगा
फिर बिल्ली को
धमकाने लगा
बिल्ली बोली
बदबू आ रही है
जा पहले नहा के आ
वर्ना अपनी शकल
मुझे मत दिखा
चूहा मुस्कुराया
फिर फुसफुसाया
हो गया ना कनफ्यूजन
गिलास में क्या गिरा
बदबू तुम्हें है आने लगी
पर गिलास में शराब
नहीं है दीदी
वहां तो सरकार है
चुनाव नजदीक आ रहा है
टिकट बांटे जा रहे हैं
मैंने फिसल के
अपना भाग्य है चमकाया
जीतने वाली पार्टी
का टिकट उड़ाया
और कूद के बाहर
हूँ आया।