उलूक टाइम्स: वट सावित्री

रविवार, 20 मई 2012

वट सावित्री

श्रीमती जी
सुबह से
ही आज
इधर उधर
जा रही थी


कभी
नयी साड़ी
पहन रही थी


कभी
नाक में
नथ चड़ा
रही थी


अरे
आज तो
जल्दी उठ
कर के नहा
भी लीजिये
का हल्ला
मचा रही थी


पता चला
'वट सावित्री'
का व्रत कर


पूजा
घर पर ही
करवा रही थी


मैने पूछा उनसे


अजी ये
वट सावित्री
क्या बला है


घरवाली बोली


मेरे इस व्रत
को करने से ही
आपका होने
वाला भला है


सावित्री
के पति
सत्यवान
के प्राण
वट वृक्ष के नीचे
जब लेने आता
है यमराज


वापस
लौटने में
स्वर्ग के
द्वार तक
सावित्री को
अपने ही पीछे
आता हुवा
पाता है जब धर्मराज


उसकी
जिद के आगे
जब वो हार जाता है


सत्यवान
के प्राण
उसे लौटाता
है यमराज


इसी लिये
सावित्री
वट वृक्ष
के साथ
अभी तक
पूजी जाती है


हर पत्नी को
प्राण प्यारी
का दर्जा वो
ऎसे ही
दिलवाती है


पत्नी
पति के
प्राणों को
बिल्कुल भी
निकलने देना
कभी नहीं
चाहती है


एक ही बार में
पति के प्राण
निकाल निकाल
के यमराज
अगर ले जायेगा


तो बताइये
पत्नी के
निकालने
के लिये फिर
क्या कुछ
रह जायेगा


यमराज जी
आप ये काम
पत्नियों
को ही
सौंप दीजिये


काहे
पंगे में पड़ते हैं
धीरे धीरे
प्राण प्यारी को ही
पति परमेश्वर
के प्राण
निचोड़ने दीजिये।

5 टिप्‍पणियां:

  1. श्रीमती की बात से , बाढ़े मन अनुराग |
    वट-सावित्री की कथा, बाग़-बाग़ बड़-भाग |

    बाग़-बाग़ बड़-भाग, छुडा कब्जे से यम के |
    सावित्री का तेज, माँग में दुति-सम दमके |

    प्राण प्रिये अधिकार, पती की बड़ी गती की |
    मुट्ठी रखे दबोच, भयंकर श्रीमती की ||

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  2. ha ha ha ha ha...ek hi baar main pran yamraj le jayega to patni ke lioye kya rah jayega....jabardast humor

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  3. गर मृत्युदेव से मिले त्राण
    तो पत्नी हर लेगी ये प्राण!

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  4. ... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।

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