उलूक टाइम्स

शुक्रवार, 6 जून 2014

कुछ कहने के लिये बस कुछ कह लेना है

जो होना है
वो तो
होना है
होगा ही
होने देना है

किसी से
कहने से
कुछ होगा
किसे इस पर
कुछ पता
होना है

उनकी यादों
की यादों
को सोने
ही देना है

सपने किसी
के आते भी हों
तो आने देना है

बस कुछ दिनों
की बात और है
रुके रहना है

रोने वाले की
आदत होती है
रोने की उसे
रोने देना है

जिसके हाथों
में होती है
हमेशा खुजली
बस उसी
के हाथ में
हथौड़ा
ला कर
दे देना है

खोदने वालों
को मिल
चुका है
बहुत खोदने
का काम

अब किसी
और को
नहीं देना है

अन्दर की बात
को 
अन्दर
ही रहने देना है

बाहर के तमाशे
करने वालों को
करते रहने का
इशारा देना है

बहुत कुछ
हो रहा है
बहुत कुछ
अभी
होना ही
होना है

‘उलूक’
रोता
कलपता
ही अच्छा
लगता है
हँसने के
दिन आने में
अभी महीना है ।

गुरुवार, 5 जून 2014

कभी कुछ इस तरह भी कर लिया जाये

अब रोने
चिल्लाने
पर कैसे
गीत
या गजल
लिखी जाये

बस यूँ ही
ऐसे ही
क्यों ना कुछ
रो लिया जाये
चिल्ला लिया जाये

वैसे भी कौन
पढ़ या
गा रहा है
रोने चिल्लाने को

सब फालतू है
दिखाने को
बस ऐसे ही
जैसा है
रहने ही
दिया जाये

कोई खरोंचने
में लगा हो
चिपकी हुई
कढ़ाही में
से मलाई

उसकी
कुछ मदद
क्यों ना करने
को चला जाये

चाकू
जंक लगा
साफ कर
चमका
लिया जाये

अब हो रहा है
जो भी कुछ
नया तो नहीं
होने जा रहा

पुराने घाव को
धो पोछ कर
फिर से ढक
लिया जाये

बहुत कुछ
कहने से
कुछ नहीं
कहीं होने वाला

बस इतना
कहने के बाद
जोर जोर से
गला फाड़ कर
हंस लिया जाये

‘उलूक’ बहुत
हो चुकी
बकवास

चुपचाप
क्यों ना
कहीं
किसी और
को चाटने के
लिये अब
यहाँ से
खिसक
लिया जाये ।

बुधवार, 4 जून 2014

पूँछ नहीं हिला रहा है नाराज नजर आ रहा है

मेरे
पालतू कुत्ते ने

मुझ से
कुछ कहा तो नहीं

कहेगा भी कैसे

कुत्ते कहाँ
कुछ कहते हैं

मुझे लग रहा है

बस यूं ही

कि शायद वो
बहुत नाराज है

वैसे
उसने कहीं
कुछ लिखा
भी नहीं है
इस बारे में

लिखेगा भी कैसे

कुत्तों का
फेसबुक एकाउंट
या ब्लाग
नहीं होते हैं

कुत्ते भौंकते
जरूर हैं

उसके
भौँकने में
वैसे कोई फर्क
तो नहीं है

पर मुझे
लग रहा है

कुछ अलग
तरीके से
भौँक रहा है

ये सब
मैं सोच रहा हूँ

कुत्ता नहीं
सोच रहा है

कुत्ते
सोचते भी हैं
या नहीं

ये मुझे पक्का
कहाँ पता है

ऐसा शायद

इस कारण
हो रहा है

पड़ोसी ने
कुत्ते से शायद
कुछ कहा है

जिस पर मैंने
ध्यान नहीं
दिया है

बस मुझे ही
लग रहा है

मालिक अपने
वफादार के लिये
कुछ नहीं
कर पा रहा है

अपने
दुश्मनो से
अपने को
बचाने के लिये

कुत्ते को
सामने मगर
ले आ रहा है

इसीलिये
कुत्ते को
शायद गुस्सा
आ जा रहा है

पर वो
ये सब भी
कहाँ 
बता रहा है ।

मंगलवार, 3 जून 2014

अपना समझना अपने को ही नहीं समझा सकता

उसने कुछ लिखा
और मुझे उसमें
बहुत कुछ दिखा
क्या दिखा
अरे बहुत ही
गजब दिखा
कैसे बताऊँ
नहीं बता सकता
आग थी आग
जला रही थी
मैं नहीं
जला सकता
उसके लिखे में
आग होती है
पानी होता है
आँधी होती है
तूफान होता है
नहीं नहीं
कोई जलजला
मैं यहाँ पर
लाने का रिस्क
नहीं उठा सकता
पता नहीं
वो लिखा भी
है या नहीं
जो मुझे दिखा है
किसी को बता
भी नहीं सकता
इसी तरह रोज
उसके लिखे
को पढ़ता हूँ
जलता हूँ
भीगता हूँ
सूखता हूँ
हवा में
उड़ता हूँ
और भी बहुत
कुछ करता हूँ
सब बता के
खुले आम
अपनी धुनाई
नहीं करवा सकता ।

सोमवार, 2 जून 2014

एक रेल यहाँ भी रेलमपेल

लिखता
चलना
इस तरह
कि बनती
चली जाये
रेल की पटरी

और हों
पास में
ढेर सारे
शब्द

बन सकें
जिनके
इंजन डब्बे

और
बैठने के
लिये भी
हों कुछ
ऐसे शब्द
जिनको
बैठाया
जा सके
शब्दों की
ही बनी
सीटों पर

शब्दों की
ही बर्थ हो
सोने के लिये
भी हों शब्द
कुछ रात
भर के लिये

शब्दों के
सपने बनें
रेल के डब्बों
के अंदर ही
और
सुबह
हो जाये

उसके बाद
ही उठें शब्द
के ही प्रश्न
भी नींद से

कहाँ तक
पहुँचाई जा
सकती है
ऐसी रेल

जहाँ
बहुत ही
रेलमपेल हो
शब्दों के बने
डब्बों की
छत पर
शब्दों के
ऊपर चढ़े
शब्द हों

हाल हो
भारतीय रेल
का ही जैसा
सब कुछ

गंतव्य तक
पहुँचने ना
पहुँचने का
वहम ही
वहम हो

कुछ हो
या ना हो
कहीं
बस यात्रा
करते
रहने का
जुनून हो

सोचने में
क्या हर्ज है
जब शब्द ही
टी टी हों
और
शब्द ही चला
रहे रेल हों ।