उलूक टाइम्स: चींटी
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बुधवार, 3 जून 2015

आदमी तेरे बस के नहीं रहने दे चीटीं से ही कुछ कभी सीख कर आया कर

तेरे पेट में
होता है दर्द
होता होगा
कौन कह रहा है
नहीं होता है
अब सबके पेट
में दर्द हो
सब पेट के
दर्द की बात करें
ऐसा भी कैसे होता है
बहुत मजाकिया है
मजाक भी करता है
तो ऐसी करता है
जिसे मजाक है
सोचने सोचने तक
इस पर हँसना भी है
की सोच आते आते
कुछ देर तक ठहर कर
देख भाल कर
माहौल भाँप कर
वापस भी चली जाती है
और उसके बाद सच में
कोई मजाक भी करता है
तब भी गुस्से के मारे
आना चाह कर भी
नहीं आ पाती है
सबके होता है दर्द
किसी का कहीं होता है
किसी का कहीं होता है
सभी को अपने अपने
दर्द के साथ रहना होता है
दर्द की राजनीति मत कर
अच्छे दर्द के कभी आने
की बात मत कर
फालतू में लोगों का
समय बरबाद मत कर
दर्द होता है तो
दवा खाया कर
चुपचाप घर जा कर
सो जाया कर
बुद्धिजीवी होने का
मतलब परजीवी
हो जाना नहीं होता है
सबको चैन की
जरूरत होती है
अपना दिमाग किसी
तेरे जैसे को
खिलाना नहीं होता है
लीक को समझा कर
लीक पर चला कर
लीक से हटता भी है
अगर
तो कहीं किसी को
बताया मत कर
चीटिंया जिंदा चीटी को
नुकसान नहीं पहुँचाती हैं
चीटियाँ उसी चींटी को
चट करने जाती हैं
जो मर जाती है ।

चित्र साभार: sanbahia.blogspot.com

मंगलवार, 26 मई 2015

शतक इस साल का कमाल आस पास की हवा के उछाल का

फिर से
हो गया
एक शतक

और
वो भी पुराने
किसी का नहीं

इसी का
और इसी
साल का

जनाब
क्रिकेट नहीं
खेल रहा है
यहाँ कोई

ये सब
हिसाब है
लिखने
लिखाने के
फितूर के
बबाल का

करते नहीं
अब शेर कुछ
करने दिया
जाता भी नहीं
कुछ कहीं

जो भी
होता है
लोमड़ियों
का होता है
हर इंतजाम

दिखता
भी है
बाहर ही
बाहर से

बहुत ही
और
बहुत ही
कमाल का

हाथियों
की होती
है लाईन
लगी हुई
चीटिंयों
के इशारे पर

देखने
लायक
होता है
सुबह से लेकर
शाम तक

माहौल उनके
भारी भरकम
कदमताल का

मन ही मन
नचाता है
मोर भी ‘उलूक’

सोच सोच कर
मुस्कुराते हुऐ

जब मिलता
नहीं जवाब
कहीं भी
देखकर
अपने
आस पास

सभी के
पिटे पिटाये से
चेहरों के साथ

बंद आँख और
कान करके
चुप हो जाने
के सवाल का ।

चित्र साभार: www.dreamstime.com

गुरुवार, 9 अप्रैल 2015

किसे मतलब है और होना भी क्यों है अगर एक बददिमाग का दिमाग शब्दों से हल्का हो रहा होता है

हाथी होने का
मतलब एक
बड़ी चीज होना
ही जरूरी
नहीं होता है
किसी चींटी
का नाम भी
कभी किसी ने
हाथी रखा
होता है
दुधारू गाय को
किसी की कोई
मरा हुआ हाथी
कभी कह देता है
परेशान होने की
जरूरत
नहीं होती है
अखबार में
जो होता है
उससे बड़ा सच
कहीं नहीं होता है
चिढ़ किसी
को लगती है
खुश होना चाहिये
चिढ़ाने वाले को
अजीब सी बात
लगती है जब
आग लगाने
वाला ही नाराज
हो रहा होता है
झूठ के साथ
एक भीड़ का
पता भी होता है
बस इसी सच
का पता
बेवकूफों को
नहीं होता है
भौंकते रहते हैं
भौंकने वाले
हमेशा ही
काम करने
वाला अपनी
लगन से ही
कर रहा होता है
लगे रहो लिखने
वाले अपने
हिसाब से कुछ
भी लिखने के लिये
जल्लाद का शेयर
हमेशा मौत से
ज्यादा चढ़
रहा होता है
शेरो शायरी में
दम नहीं होता है
‘उलूक’ तेरी
तू भी जानता है
तेरे सामने ही
तेरा अक्स ओढ़
कर भी सब कुछ
सरे आम
नंगा हो रहा
होता है ।
चित्र साभार: www.clipartof.com

मंगलवार, 6 मई 2014

जिसको काम आता है उसको ही दिया जाता है

अपनी
प्रकृति के
हिसाब से

हर
किसी को

अपने
लिये काम
ढूँढ लेना

बहुत
अच्छी तरह
आता है

एक
कबूतर
होने से
क्या होता है

चालाक
हो अगर

कौओं को
सिखाने
के लिये भी
भेजा जाता है

भीड़
के लिये
हो जाता है
एक बहुत
बड़ा जलसा

थोड़े से
गिद्धों को
पता होता है

मरा
हुआ घोड़ा
किस जगह
पाया जाता है

बहुत
अच्छी बात है

अगर कोई
काली स्याही
अंगुली में
अपनी
लगाता है

गर्व करता है

इतराता हुआ
फोटो भी
कई खिंचाता है

चीटिंयों की
कतार चल
रही होती है
एक तरफ को

भेड़ो
का रेहड़
अपने हिसाब से

पहाड़ पर
चढ़ना चाहता है

एक
खूबसूरत
ख्वाब

कुछ दिनों
के लिये ही सही
फिल्म की तरह
दिखाया जाता है

देवता लोग
नहीं बैठते हैं
मंदिर मस्जिद
गुरुद्वारे में

हर कोई
भक्तों से
मिलने
बाहर को
आ जाता है

भक्तों
की हो रही
होती है पूजा

न्यूनतम
साझा कार्यक्रम
के बारे में

किसी
को भी
कुछ नहीं
बताया जाता है

चार दिन
शादी ब्याह
के बजते
ढोल नगाड़ों
के साथ

कितना भी
थिरक लो

उसके बाद

दूल्हा
अकेले दुल्हन के
साथ जाता है

तुझे
क्या करना है

इन
सब बातों से
बेवकूफ ‘उलूक’

तेरे पास
कोई
काम धाम
तो है नहीं

मुँह उठाये
कुछ भी
लिखने को
चला आता है ।

बुधवार, 5 फ़रवरी 2014

हर कोई हर बात को हर जगह नहीं कहता है इसी दुनियाँ में बहुतों के साथ बहुत कुछ होता है

प्रकृति के
सुन्दर भावों
और दृश्यों पर
बहुत कुछ
लिखते है लोग

लिखा हुआ
पढ़ना भी
चाहते हैं
पर
दुनिया में
कितने प्रकार
के होते हैं
लोगो के प्रकार
बस ये ही
भूल जाते हैं

अपेक्षाओं का
क्या किया जाये
कब किसकी
किससे क्या
हो जाती हैं

दुनियाँ बड़ी
गजब की है
चींंटी भी एक
हाथी की सूंड में
घुस कर उसे
मार ले जाती है

अब
कौन कुत्ता
किस प्रकार
का कुत्ता
हो जाता है
कुत्ता पालने
के समय
किसी से
कहाँ सोचा
जाता है

बहुत से लोग
कुत्तों को
पसँद नहीं
करते हैं
फिर भी
एक कुत्ता
होना ही
चाहिये की
चाह जरूर
रखते हैं

इसलिये
सोच लेते हैं
अपनी सोच में
एक कुत्ते को
और
पालना शुरु
हो जाते हैं

सब कुछ
क्योंकि
सोच में ही
चल रहा
होता है
कोई जंजीर
या
पट्टे से उसे
बांध नहीं
पाते हैं

बस यहीं से
अपेक्षाओं
के महल
का निर्माण
करना शुरु
हो जाते हैं

पालतू
बन कर
कुत्ता
जो पल
रहा होता है

उसे कुछ
भी नहीं
बताते है 

ऐसे में
कैसे उससे
वफादारी
की उम्मीद
पालने वाले
लोग सोचते
सोचते ही
कर ले जाते हैं

सोच में
ही अपनी
अपने किसी
दुश्मन को
काटता हुआ
देखने का
सपना
एक नहीं
कई देख
ले जाते हैं

टूटता है
बुरी तरह
कभी
इसी तरह
अपेक्षाओं
का पहाड़

जब उसी
पाले हुऐ
कुत्ते को
दुश्मन
के साथ
खुद की
ओर भौंकता
हुआ पाते हैं

बस
भौंचक्के
होकर
सोचते ही
रह जाते है

आदत
फिर भी
नहीं छूटती है

एक दूसरा
कुत्ता फिर से
अपनी सोच
में ले ही आते हैं !

बुधवार, 11 जुलाई 2012

हाथी के निकलते अगर पर

चींटी की जगह
हाथी के अगर
पर निकलते
तो क्या होता
क्या होता
वही होता
जो अकसर
हुआ करता है
जिसे सब
आसानी से
मान जाते हैं
और अपना
दिमाग फिर
नहीं लगाते हैं
मतलब मंजूरे
खुदा होता
पर सुना है
जब पर
निकलते हैं
तो चीटीं मर
जाती है
दुबारा कहीं
नजर नहीं
कभी आती है
तो हाथी भी
क्या उड़ते
उड़ते मर जाता
अब हाथी
मरता तो पक्का
नजर आता
ऊपर से गिरता
तो पता नहीं
कितनो को
अपने साथ
ऊपर ले जाता
सुबह सुबह
अखबार के
फ्रंट पेज पर
भी फोटो के
साथ आ जाता
चींटी की खबरे
अखबार छुपा
भी ले जाता
तो किसी को
क्या पता
चल पाता
चींटी को
दफनाना तो
छोटी सी
लकड़ी से
हो जाता
पर हाथी
दफनाने के
लिये उतनी
ही बड़ी मशीन
कोई कहाँ से
ला पाता
खाली पीली
एक्स्पोज
नहीं हो जाता
अच्छा है
चींटी का ही
पर निकलता है
और किसी को
पता भी नहीं
कुछ चलता है ।