समय के
साथ चलना
जरूरी है
परिवर्तन
के साथ
बदलना
मजबूरी है
मुर्गे
स्वदेशी
इसी चीज के
पीछे पीछे
जा रहे हैं
अपनी
को टोपी
के नीचे
छिपा कर
ऊपर से
विदेशी
कलगी
लगा रहे हैं
जब तक
मुँह नहीं
खोलते
अच्छा प्रभाव
भी जमा रहे हैं
पर बाँग
देते समय
बेचारे
रंगे हाथों
पकड़े भी
जा रहे हैं
अब अपने
घर के
अपने ही
मुर्गे हैं
हम भी
कुछ कह
नहीं पा
रहे हैं
उनकी
बेढंगी चालों
पर ताल
बजा रहे हैं
ना
चाहते
हुवे भी एक
मौन स्वीकृति
दिये जा रहे हैं ।
साथ चलना
जरूरी है
परिवर्तन
के साथ
बदलना
मजबूरी है
मुर्गे
स्वदेशी
इसी चीज के
पीछे पीछे
जा रहे हैं
अपनी
को टोपी
के नीचे
छिपा कर
ऊपर से
विदेशी
कलगी
लगा रहे हैं
जब तक
मुँह नहीं
खोलते
अच्छा प्रभाव
भी जमा रहे हैं
पर बाँग
देते समय
बेचारे
रंगे हाथों
पकड़े भी
जा रहे हैं
अब अपने
घर के
अपने ही
मुर्गे हैं
हम भी
कुछ कह
नहीं पा
रहे हैं
उनकी
बेढंगी चालों
पर ताल
बजा रहे हैं
ना
चाहते
हुवे भी एक
मौन स्वीकृति
दिये जा रहे हैं ।
बेहतरीन अभिव्यक्ति, सुंदर रचना,,,,, ,
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST,,,,काव्यान्जलि ...: ब्याह रचाने के लिये,,,,,