घर में आँख से
आँख मिलाता है
खाली
बिना बात के
पंगा हो जाता है
चेहरा फिर भाव
हीन हो जाता है
बाहर आँख वाला
सामने आता है
कन्नी काट कर
किनारे किनारे
निकल जाता है
आँख वाली से
आँख मिलाता है
डूबता उतराता है
खो जाता है
चेहरा नये नये
भाव दिखाता है
रोज कुछ लोग
घर पर आँख
को झेलते हैं
बाहर आ कर
खुशी खुशी
आँख आँख
फिर भी खेलते हैं
आँख वाली
की आँख
गुलाबी
हो जाती है
आँख वाले
को आँखें
मिल जाती हैं
सिलसिला सब ये
नहीं चला पाते हैं
कुछ लोग इस कला
में माहिर हो जाते हैं
करना वैसे तो बहुत
कुछ चाहते हैं
पर घर की आँखों
से डर जाते हैं
इसलिये बस
आँख से आँख
मिलाते हैं
पलकें झुकाते हैं
पलकें उठाते हैं
रोज आते हैं
रोज चले जाते हैं
आँख आँख में
अंतर साफ साफ
दिखाते हैं ।
आँख मिलाता है
खाली
बिना बात के
पंगा हो जाता है
चेहरा फिर भाव
हीन हो जाता है
बाहर आँख वाला
सामने आता है
कन्नी काट कर
किनारे किनारे
निकल जाता है
आँख वाली से
आँख मिलाता है
डूबता उतराता है
खो जाता है
चेहरा नये नये
भाव दिखाता है
रोज कुछ लोग
घर पर आँख
को झेलते हैं
बाहर आ कर
खुशी खुशी
आँख आँख
फिर भी खेलते हैं
आँख वाली
की आँख
गुलाबी
हो जाती है
आँख वाले
को आँखें
मिल जाती हैं
सिलसिला सब ये
नहीं चला पाते हैं
कुछ लोग इस कला
में माहिर हो जाते हैं
करना वैसे तो बहुत
कुछ चाहते हैं
पर घर की आँखों
से डर जाते हैं
इसलिये बस
आँख से आँख
मिलाते हैं
पलकें झुकाते हैं
पलकें उठाते हैं
रोज आते हैं
रोज चले जाते हैं
आँख आँख में
अंतर साफ साफ
दिखाते हैं ।
सुंदर प्रस्तुति ,,,,,
जवाब देंहटाएंMY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,
ये तो नज़र-नज़र का फेर है।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार के चर्चा मंच पर भी लगाई जा रही है!
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
सब कुछ आँखों आँखों में ।
जवाब देंहटाएं