चाँद
सोचना
चाँदनी
खोदना
तारों की
सवारी
फूलों पर
लोटना
तितलियों
को देख
खुश
हो जाना
मोरनियाँ
पास आयें
मोर
हो जाना
पंख फैलाना
नाच दिखाना
आँखे कहीं
दिख जायें
बिना देखे
कूद जाना
तैरना
आता हो
तब भी
डूब जाना
किसी और
को पिलाना
बहक खुद
ही जाना
जमाना
तो है ऎसे
ही दीवानो
का दीवाना
लकड़ी की
सोचना
मकड़ियों
को देखना
सीधा कोई
मिल जाये
टेढ़ा हो जाना
मिट्टी तेल
की ढिबरी
से चाँद
तारे बनाना
जब तक
पडे़ नहीं
बैचेनी
दिखाना
पड़ी में
दो लात
ऊपर
से खाना
गधे की
सोचना
शुतुरमुर्ग
हो जाना
किसी के
भी फटे में
जाकर के
टांग अढ़ाना
किसकी
समझ में
आता है
ऎसों
का गाना
टूटे फूटे इन
बेगानों को
किसने है
मुँह लगाना।
सोचना
चाँदनी
खोदना
तारों की
सवारी
फूलों पर
लोटना
तितलियों
को देख
खुश
हो जाना
मोरनियाँ
पास आयें
मोर
हो जाना
पंख फैलाना
नाच दिखाना
आँखे कहीं
दिख जायें
बिना देखे
कूद जाना
तैरना
आता हो
तब भी
डूब जाना
किसी और
को पिलाना
बहक खुद
ही जाना
जमाना
तो है ऎसे
ही दीवानो
का दीवाना
लकड़ी की
सोचना
मकड़ियों
को देखना
सीधा कोई
मिल जाये
टेढ़ा हो जाना
मिट्टी तेल
की ढिबरी
से चाँद
तारे बनाना
जब तक
पडे़ नहीं
बैचेनी
दिखाना
पड़ी में
दो लात
ऊपर
से खाना
गधे की
सोचना
शुतुरमुर्ग
हो जाना
किसी के
भी फटे में
जाकर के
टांग अढ़ाना
किसकी
समझ में
आता है
ऎसों
का गाना
टूटे फूटे इन
बेगानों को
किसने है
मुँह लगाना।
बहुत अच्छी प्रस्तुति,,,सुंदर रचना,,,,,
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST काव्यान्जलि ...: बहुत बहुत आभार ,,
इस काव्य को गीत कहूं तो ग़लत नहीं होगा, और इसके लय ताल बिल्कुल अलग हैं, हट के। कभी मुस्कान थिरकती है, कभी मन सीरियस होता है।
जवाब देंहटाएंबेजोड़!!