भावों
का उठना
का उठना
भावों
का गिरना
का गिरना
सोच में हों
या बाजार में
उनका बिकना
समय
के हिसाब से
के हिसाब से
जगह
के हिसाब से
के हिसाब से
मौके
के हिसाब से
के हिसाब से
हर
भाव का भाव
भाव का भाव
एक
भाव नहीं होना
भाव नहीं होना
निर्भर
करता है
करता है
किसका
कौन सा भाव
किसके लिये
क्यों कब
और
और
कहाँ जा
कर उठेगा
मुफ्त
में साझा
में साझा
कर लिया जायेगा
या फिर
खडे़ खडे़ ही
खडे़ भाव के साथ
बेच दिया जायेगा
भावों के
बाजार के
उतार चढ़ाव भी
कहाँ समझ में
आ पाते हैं
शेयर मार्केट
जैसे
जैसे
पल में चढ़ते हैं
पल में उतर जाते हैं
कब
किसका भाव
किसका भाव
किसके लिये
कुछ
कुछ
मुलायम हो जायेगा
कब कौन
अपना भाव
अचानक बढ़ा कर
अपने बाजार मूल्य
का ध्यान दिलायेगा
कवि का भाव
कविता का भाव
किताब में लिखी हो
तो एक भाव
ब्लाग में लिखी हो
तो अलग भाव
कवि
ने लिखी हो
ने लिखी हो
तो
कुछ मीठा भाव
कुछ मीठा भाव
कवियत्री
अगर हो
तो
फिर तीखा भाव
फिर तीखा भाव
भावों
की दुनियाँ में
की दुनियाँ में
कोई मित्र नहीं होता
शत्रु
का भाव हमेशा
ही रहता है बहुत ऊँचा
आध्यात्मिक
भाव
भाव
से होती है पूजा
भावातीत ध्यान
भी
होता है कुछ
होता है कुछ
पता नहीं चलता
चलते चलते
योगी
योगी
कब जेल के अंदर
ही
जा पहुँचा
जा पहुँचा
पता नहीं
क्या ऎसा
क्या ऎसा
कुछ भाव उठ बैठा
सभी
के
भावों पर
भावावेश में
भाव
भाव
पर ही कुछ
लिख ले जाऊँ का
एक
भाव जगा बैठा
भाव जगा बैठा
दो
तिहाई जिंदगी
तिहाई जिंदगी
गुजरने के बाद
एक बात इसी भाव
के
कारण आज
कारण आज
पता नहीं कैसे
पता लगा बैठा
कुछ भी
यहां
कर लिया जाता है
यहां
कर लिया जाता है
आदमजात
भाव
का कोई कुछ
नहीं कर पाता है
उदाहरण
दिया जाता है
खून
जब लाल
होता है सबका
फिर
आदमी बस
आदमी ही क्यों
नहीं होता है
सब
इसी भाव पर
इसी भाव पर
उलझे रहे पता नहीं
कितने बरसों तक
जबकी
खून का
लाल होना ही
साफ बता देता है
भाव का भाव हर
आदमी के भाव में
हमेशा से ही होता है
हर
आदमी बिकने
आदमी बिकने
को
तैयार
अपने
तैयार
अपने
भाव पर जरूर होता है
कभी
इधर वाला
इधर वाला
उधर वाले को
खरीद देता है
कभी
उधर वाला
इधर वाले को
बेच देता है
कोई
किसी से
किसी से
अलग कहाँ होता है
ऎसा
एक भाव
सारी प्रकृति में
कहीं भी और
नहीं होता है
आदमी
का भाव
का भाव
आदमी के लिये
हमेशा एक होता है
भाव ही धर्म होता है
भाव ही जाति होता है
कहने को
कोई
कोई
कुछ और कहते रहे
यहाँ
सब कुछ
या तो आलू होता है
या फिर प्याज होता है
दिल
के अंदर
के अंदर
होने से क्या होता है
जब हर भाव का
एक भाव होता है ।
भाव पर अद्भुत रचना ,बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंlatest post: सब्सिडी बनाम टैक्स कन्सेसन !
आपकी यह पोस्ट आज के (०६ सितम्बर , २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - यादें पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत खूब, सर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ..पुरे भाव का मकडजाल ..:)`
जवाब देंहटाएं