किसी की
मजबूरी भी
किसी का
सपना हो
जाती है
ये बात
बहुत आसानी
से कहां समझ
में आ पाती है
आश्चर्य तो
तब होता है
जब एक ऐसे ही
सपने के आते ही
किसी की बांछें
खिल जाती हैं
यही सोच एक
दुधारू गाय
बन कर
सामने आ
जाती है
जितने ज्यादा
मजबूर लोग
होते हैं
उतना
ज्यादा दूध
बहाती है
किसी की
मजबूरी को
एक सपना
बनाना
उस सपने
को पूरा
करने के लिये
तन मन
धन लगाना
सपने की
बात को
किसी को
भी ना बताना
इसके बावजूद
उस सपने को
पूरा करने
के लिये
मिनटों में
मददगारों
के एक
जमघट का
जुट जाना
सपने का
फलना फूलना
शुरु हो जाना
दूध का
निकलने से
पहले ही
बंट जाना
कुछ लोगों
की मजबूरी पर
एक पूरा उद्योग
खड़ा हो जाना ही
एक आदमी की
प्रबंधन क्षमता
को दिखाती है
देश को चलाने
के लिये ऐसे ही
सक्षम लोगों की
जरूरत महसूस
की जाती है
इसीलिये
हर सरकार
हर जगह पर
छांट छांट कर
ऐसे महागुरुओं को
ला कर बिठाती है
इन
महागुरुओं की
मदद लेकर ही
मजबूर देश के
मजबूरों को वो
हांक ले जाती है ।
मजबूरी भी
किसी का
सपना हो
जाती है
ये बात
बहुत आसानी
से कहां समझ
में आ पाती है
आश्चर्य तो
तब होता है
जब एक ऐसे ही
सपने के आते ही
किसी की बांछें
खिल जाती हैं
यही सोच एक
दुधारू गाय
बन कर
सामने आ
जाती है
जितने ज्यादा
मजबूर लोग
होते हैं
उतना
ज्यादा दूध
बहाती है
किसी की
मजबूरी को
एक सपना
बनाना
उस सपने
को पूरा
करने के लिये
तन मन
धन लगाना
सपने की
बात को
किसी को
भी ना बताना
इसके बावजूद
उस सपने को
पूरा करने
के लिये
मिनटों में
मददगारों
के एक
जमघट का
जुट जाना
सपने का
फलना फूलना
शुरु हो जाना
दूध का
निकलने से
पहले ही
बंट जाना
कुछ लोगों
की मजबूरी पर
एक पूरा उद्योग
खड़ा हो जाना ही
एक आदमी की
प्रबंधन क्षमता
को दिखाती है
देश को चलाने
के लिये ऐसे ही
सक्षम लोगों की
जरूरत महसूस
की जाती है
इसीलिये
हर सरकार
हर जगह पर
छांट छांट कर
ऐसे महागुरुओं को
ला कर बिठाती है
इन
महागुरुओं की
मदद लेकर ही
मजबूर देश के
मजबूरों को वो
हांक ले जाती है ।
जवाब देंहटाएंहर सरकार यही करती है ,बहुत सुन्दर सार्थक सृजन
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आपके ब्लॉग को ब्लॉग एग्रीगेटर "ब्लॉग - चिठ्ठा" में शामिल कर लिया गया है। सादर …. आभार।।
जवाब देंहटाएंकृपया "ब्लॉग - चिठ्ठा" के फेसबुक पेज को भी लाइक करें :- ब्लॉग - चिठ्ठा
बेहतरीन प्रस्तुति
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