रोज एक कैलेंडर
नई तारीख का
ला कर यहां लटका
देने से क्या कुछ
नया होने वाला है
सब अपने अपने
कैलेंडर और तारीख
लेकर अपने साथ
चलने लगे हैं आजकल
उस जगह पर तेरे
कैलेंडर को कौन देखेने
आने वाला है
अब तू कहेगा तुझे
एक आदत हो गई है
अच्छी हो या खराब
किसी को इससे
कौन सा फर्क जो
पड़ने वाला है
परेशानी इस बात
की भी नहीं है
कहीं कोई कह रहा हो
दीवार पर नये साल पर
नया रंग होने वाला है
जगह खाली पड़ी है
और बहुत पड़ी है
इधर से लेकर उधर तक
जहां जो मन करे जब करे
लटकाता कोई दूर तक
अगर चले भी जाने वाला है
सबके पास हैं बहुत हैं
हर कोई कुछ ना कुछ
कहीं ना कहीं पर
ला ला कर
लटकाने वाला है
फुरसत नहीं है किसी को
जब जरा सा भी कहीं
देखने कोई किसी और का
कैलेंडर फिर क्यों कहीं
को जाने वाला है
अपनी तारीख भी तो
उसी दिन की होती है
जिस दिन का वो एक
कैलेंडर ला कर यहां
लटकाने वाला है
मुझे है मतलब पर
बस उसी से है जो
मेरे कैलेंडर की तारीख
देख कर अपना दिन
शुरु करने वाला है |
नई तारीख का
ला कर यहां लटका
देने से क्या कुछ
नया होने वाला है
सब अपने अपने
कैलेंडर और तारीख
लेकर अपने साथ
चलने लगे हैं आजकल
उस जगह पर तेरे
कैलेंडर को कौन देखेने
आने वाला है
अब तू कहेगा तुझे
एक आदत हो गई है
अच्छी हो या खराब
किसी को इससे
कौन सा फर्क जो
पड़ने वाला है
परेशानी इस बात
की भी नहीं है
कहीं कोई कह रहा हो
दीवार पर नये साल पर
नया रंग होने वाला है
जगह खाली पड़ी है
और बहुत पड़ी है
इधर से लेकर उधर तक
जहां जो मन करे जब करे
लटकाता कोई दूर तक
अगर चले भी जाने वाला है
सबके पास हैं बहुत हैं
हर कोई कुछ ना कुछ
कहीं ना कहीं पर
ला ला कर
लटकाने वाला है
फुरसत नहीं है किसी को
जब जरा सा भी कहीं
देखने कोई किसी और का
कैलेंडर फिर क्यों कहीं
को जाने वाला है
अपनी तारीख भी तो
उसी दिन की होती है
जिस दिन का वो एक
कैलेंडर ला कर यहां
लटकाने वाला है
मुझे है मतलब पर
बस उसी से है जो
मेरे कैलेंडर की तारीख
देख कर अपना दिन
शुरु करने वाला है |
बहुत सुंदर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंनई रचना : सुधि नहि आवत.( विरह गीत )
मुझे है मतलब पर
जवाब देंहटाएंबस उसी से है जो
मेरे कैलेंडर की तारीख
देख कर अपना दिन
शुरु करने वाला है !
सुन्दर प्रस्तुति-
आभार आदरणीय डाक्टर साहब -
सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंआप की ये रचना आने वाले शुकरवार यानी 27 सितंबर 2013 को नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है... ताकि आप की ये रचना अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
आप भी इस हलचल में सादर आमंत्रित है... आप इस हलचल में शामिल अन्य रचनाओं पर भी अपनी दृष्टि डालें...इस संदर्भ में आप के सुझावों का स्वागत है...
उजाले उनकी यादों के पर आना... इस ब्लौग पर आप हर रोज कालजयी रचनाएं पढेंगे... आप भी इस ब्लौग का अनुसरण करना।
आप सब की कविताएं कविता मंच पर आमंत्रित है।
हम आज भूल रहे हैं अपनी संस्कृति सभ्यता व अपना गौरवमयी इतिहास आप ही लिखिये हमारा अतीत के माध्यम से। ध्यान रहे रचना में किसी धर्म पर कटाक्ष नही होना चाहिये।
इस के लिये आप को मात्रkuldeepsingpinku@gmail.com पर मिल भेजकर निमंत्रण लिंक प्राप्त करना है।
मन का मंथन [मेरे विचारों का दर्पण]
मेरे कैलेंडर की तारीख
जवाब देंहटाएंदेख कर अपना दिन
शुरु करने वाला है !
सुन्दर प्रस्तुति-