उलूक टाइम्स: एक चोला एक देश से ऊपर होता चला जायेगा

बुधवार, 26 मार्च 2014

एक चोला एक देश से ऊपर होता चला जायेगा

परिवार के परिवार
जहाँ बने हैं सेवादार
डेढ़ अरब लोगों का
बना कर एक बाजार

अगर लगाते हैं मेला
करते हैं खरीद फरोख्त
भेड़ बकरियों की तरह
कहीं खोखा होता है
कहीं होता है एक ठेला

ऐसे मैं अगर कोई
बदल भी लेता है
अपना चोला
तो तेरा दिल क्यों
खाता है हिचकोला

कुँभ के समय में ही
कोई डुबकी लगायेगा
गँगा मैय्या को अपने
पापों की गठरी दे जायेगा

खुद सोच पाँच साल कैसे
एक चोला चल पायेगा
धुलेगा नहीं अगर
गंदा नहीं हो जायेगा
बिना बदले कैसे
धोबी को दिया जायेगा

अब सब तेरी तरह के
नंगे तो होते नहीं
बिना चोला पहने
चोले वालों की बात
बताने चला आयेगा

समझा कर कभी
कभी क्रिकेट फुटबाल
छोड़ कर ये वाला
खेल भी खेला कर

दिल तो सब के
सुलगते हैं पर
पूरा का पूरा कभी
भी नहीं जलते हैं

एक जगह कुर्सी
पक्की करने के
बाद ही तो कोई

देश के लिये
देश की कुर्सी
की ओर देख कर
लार टपकायेगा

हाथ में पड़ गई
वारा न्यारा हो जायेगा
नहीं भी पड़ती है
क्या होना है
वापस अपनी कुर्सी
पर जा कर बैठ जायेगा

नगद नारायण पहली
तारीख को अपने आप
खाते में आ जायेगा

शरीर तो बेवकूफ है
एक दिन आत्मा को
छोड़ कर चला जायेगा

चोला इस समय
अगर रह गया
भूल से शरीर पर

अगले पाँच सालों तक
दूसरे के चोलों को
देख देख कर
शरीर और आत्मा
दोनो को सुखायेगा

तुझे क्या करना है
चोले से “उलूक”
नंगा क्या निचोड़ेगा
और क्या नहायेगा

बस चोले इधर से
उधर आते जाते
देख देख सुलगते
दिल की आग
को भड़कायेगा

देश हित
सर्वोपरि होगा
नेता भगत राजगुरु
और सुखदेव से
ऊपर हो जायेगा ।   

9 टिप्‍पणियां:

  1. सर , || पर चाहे जितना भी ऊपर जाये , राजगुरु व सुखदेव की तरह इस देश की नीव तो नहीं रख पायेगा , और अगर नीव रखने की कोशिश भी की तो , अपनी दी हुई महंगाई में फंस जाएगा || धन्यवाद !
    Information and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 27-03-2014 को चर्चा मंच पर दिया गया है
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. चोला कितने भी बदल लें पर अन्दर से सब एक ही हैं...देश को बदलने की चिंता कब है, चिंता है तो सिर्फ अपने चोले की....बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति....

    जवाब देंहटाएं
  4. आपकी इस प्रस्तुति को कल कि बुलेटिन मशहूर फ़िल्म अभिनेत्री नंदा जी को भावभीनी विदाई - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर बहुत सटीक और चुनाव -गर्भित पोस्ट :

    Wednesday, March 26, 2014
    एक चोला एक देश से ऊपर होता चला जायेगा
    परिवार के परिवार
    जहाँ बने हैं सेवादार
    डेढ़ अरब लोगों का
    बना कर एक बाजार
    अगर लगाते हैं मेला
    करते हैं खरीद फरोख्त
    भेड़ बकरियों की तरह
    कहीं खोखा होता है
    कहीं होता है एक ठेला
    ऐसे मैं अगर कोई
    बदल भी लेता है
    अपना चोला
    तो तेरा दिल क्यों
    खाता है हिचकोला
    कुँभ के समय में ही
    कोई डुबकी लगायेगा
    गँगा मैय्या को
    अपने पापों की
    गठरी दे जायेगा
    खुद सोच
    पाँच साल कैसे
    एक चोला चल पायेगा

    जवाब देंहटाएं