शायद
ज्यादा अच्छे होते हैं वे लोग
जो कुछ नहीं लिखते है
वैसे
किसी के लिखने से ही
लिखने वाले के बारे में कुछ पता चलता हो
ऐसा भी जरूरी नहीं होता है
पर
कुछ नहीं कहना कुछ नहीं लिखना
नहीं लिखने वाले की मजबूती का
पता जरूर देता है
लिखने से ज्यादा
अच्छा होता है कुछ करना
कहा भी गया है
गरजते हैं जो बादल बरसते नहीं हैं
बादल भी तो बहुत चालाकी करते हैं
जहाँ बनते हैं वहाँ से चल देते हैं
और बरसते हैं
बहुत दूर कहीं ऐसी जगह पर
जहाँ कोई नहीं जानता है
बादल कहाँ कैसे और क्यों बनते हैं
एक बहुत बड़े देश के कोने कोने के
लोग भी तो पहुँचते हैं हमेशा
एक नई जगह
और वहाँ बरसते हुऐ दिखते हैं
कहीं भी कोई जमीन नम नहीं होती हैं
ना उठती है थोड़ी सी भी
सोंधी गंध कहीं से गीली मिट्टी की
बरसना बादलों का बादलों पर और
बरसात का नहीं होना
किसी को कोई फर्क भी नहीं पड़ना
बहुत कुछ यूँ ही सिखा देता है
और
बादलों के देश की
पानी की छोटी बूँदें भी
सीख लेती हैं नमीं सोख लेना
क्योंकि जमीन की
हर बूँद को खुद के लिये बस
बनना होता है एक बड़ा बादल
बरसने के लिये नहीं
बस सोखने के लिये कुछ नमीं
जो सब लिखने से नहीं आता है
बस सीखा जाता है उन बादलों से
जो बरसते नहीं बस गरजते हैं
बहुत दूर जाकर
जहाँ किसी को फर्क नहीं पड़ता है
बिजली की चमक से
या
घड़धड़ाहट से
बादल भी कहाँ लिखते हैं कुछ
कभी भी कहीं भी ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (02-03-2014) को "पौधे से सीखो" (चर्चा मंच-1539) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सचमुच करने में पुरुषार्थ है,लिखना - अगर कुछ कहने को है तो आत्माभिव्यक्ति का सुख .!
जवाब देंहटाएं***आपने लिखा***मैंने पढ़ा***इसे सभी पढ़ें***इस लिये आप की ये रचना दिनांक03/03/2014 यानी आने वाले इस सौमवार को को नयी पुरानी हलचल पर कुछ पंखतियों के साथ लिंक की जा रही है...आप भी आना औरों को भी बतलाना हलचल में सभी का स्वागत है।
जवाब देंहटाएंएक मंच[mailing list] के बारे में---
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बहुत सुंदर.
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