कभी सोचा है
लिखे हुए एक
पन्ने में भी
कुछ दिखता है
केवल पढ़ना
आने से ही
नहीं होता है
पन्ने के आर
पार भी देखना
आना चाहिये
घर के दरवाजे
खिड़कियों की तरह
एक पन्ने में भी
होती हैं झिर्रियाँ
रोशनी भीतर की
बाहर छिरकती है
जब शाम होती है
अँधेरा हो जाता है
सुबह का सूरज
निकलता है
थोड़ा सा उजाला
भी कहीं से
चला ही आता है
लिखा हुआ रेत
का टीला कहीं
कहीं एक रेगिस्तान
तक हो जाता है
मरीचिका बनती
दिखती है कहीं
एक जगह सूखा
पड़ जाता है
नमी लिया
हुआ होता है
तो एक बादल
भी हो जाता है
नदी उमड़ती है कहीं
कहीं ठहरा हुआ
एक तालाब सा
हो जाता है
पानी हवा के
झौंको से
लहरें बनाता है
गलतफहमी भी
होती हैं बहुत सारी
कई पन्नों में
सफेद पर काला
नहीं काले पर
सफेद लिखा
नजर आता है
समय के साथ
बहुत सा समझना
ना चाहते हुए भी
समझना पड़ जाता है
हर कोई एक
सा नहीं होता है
किसी का पन्ना
बहुत शोर करता है
कहीं एक पन्ना
खामोशी में ही
खो जाता है
किसी का लिखा
खाद होता है
मिट्टी के साथ
मिलकर एक
पौंधा बनाता है
कोई कंकड़ पत्थर
लिखकर जमीन को
बंजर बनाता है
सब तेरे जैसे
बेवकूफ नहीं
होते हैं “उलूक”
जिसका पन्ना
सिर्फ एक पन्ना
नहीं होता है
रद्दी सफेद कपड़े
की छ: मीटर की
एक धोती जैसा
नजर आता है ।
लिखे हुए एक
पन्ने में भी
कुछ दिखता है
केवल पढ़ना
आने से ही
नहीं होता है
पन्ने के आर
पार भी देखना
आना चाहिये
घर के दरवाजे
खिड़कियों की तरह
एक पन्ने में भी
होती हैं झिर्रियाँ
रोशनी भीतर की
बाहर छिरकती है
जब शाम होती है
अँधेरा हो जाता है
सुबह का सूरज
निकलता है
थोड़ा सा उजाला
भी कहीं से
चला ही आता है
लिखा हुआ रेत
का टीला कहीं
कहीं एक रेगिस्तान
तक हो जाता है
मरीचिका बनती
दिखती है कहीं
एक जगह सूखा
पड़ जाता है
नमी लिया
हुआ होता है
तो एक बादल
भी हो जाता है
नदी उमड़ती है कहीं
कहीं ठहरा हुआ
एक तालाब सा
हो जाता है
पानी हवा के
झौंको से
लहरें बनाता है
गलतफहमी भी
होती हैं बहुत सारी
कई पन्नों में
सफेद पर काला
नहीं काले पर
सफेद लिखा
नजर आता है
समय के साथ
बहुत सा समझना
ना चाहते हुए भी
समझना पड़ जाता है
हर कोई एक
सा नहीं होता है
किसी का पन्ना
बहुत शोर करता है
कहीं एक पन्ना
खामोशी में ही
खो जाता है
किसी का लिखा
खाद होता है
मिट्टी के साथ
मिलकर एक
पौंधा बनाता है
कोई कंकड़ पत्थर
लिखकर जमीन को
बंजर बनाता है
सब तेरे जैसे
बेवकूफ नहीं
होते हैं “उलूक”
जिसका पन्ना
सिर्फ एक पन्ना
नहीं होता है
रद्दी सफेद कपड़े
की छ: मीटर की
एक धोती जैसा
नजर आता है ।
This is awesome....bro u become a magician who plays with the words so beautifully.....there is melody....a mystery....and lot more...keep it up
जवाब देंहटाएंमित्र !होली की हार्दिक वधाई ! आधुनिक पुस्तकीय खोखले ज्ञान पर अच्छा और मीठा प्रहार है !!
जवाब देंहटाएंशायद इसी से बना होगा मुहावरा - बिटवीन द लाइंस का!!
जवाब देंहटाएंक्या बात है। लाजवाब प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंजिसको पढना आसान है,
जवाब देंहटाएंसमझने में सालों लग जायेंगे !!
मंगलकामनाएं उलूक को !!
आभार आपकी मंगलकामनाऐं जरूर एक दिन उलूक को मंगल पहुँचायेंगी :)
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (25-03-2014) को "स्वप्न का संसार बन कर क्या करूँ" (चर्चा मंच-1562) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
कामना करता हूँ कि हमेशा हमारे देश में
परस्पर प्रेम और सौहार्द्र बना रहे।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
गजब 'उलूक '...
जवाब देंहटाएंबहुत गहरे भाव हैं.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सारगर्भित रचना
जवाब देंहटाएंपथिक अनजाना
बहुत ही सुन्दर व सारगर्बित रचना धन्यवाद
---पथिक अनजाना
आभार पथिक जी आप की टिप्प्णी के लिये इसी तरह और ब्लाग्स पर आपके आशीर्वचन लोगों को मिलेंगे आशा है । पर बहुत बड़ी जगह आपने खाली छोड़ दी बीच में :)
हटाएंबहुत खूब ... आर पार देखना भी आना जरूरी है ... पूरा सच जानने के लिए ... अर्थपूर्ण भाव ...
जवाब देंहटाएंबहुत सही सर ! , धन्यवाद
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
किसी का पन्ना
जवाब देंहटाएंबहुत शोर करता है
कहीं एक पन्ना
खामोशी में ही
खो जाता है
....बहुत सारगर्भित प्रस्तुति....सदैव की तरह बहुत प्रभावी और सोचने को विवश करती...