दिखना
शुरु हो
चुकी हैं
सजने
सवरने
कलगियाँ
मुर्गों की
रंग बिरंगी
मुर्गियाँ
भी
लगी है
बालों में
मेहंदी
लगाने में
आने ही
वाला जो
है त्योहार
अगले महीने
एक बार
फिर से
पाँच साला
चहल पहल
होना शुरु
हो चुकी है
सभी
मयखानो में
आ चुके
हैं वापिस
सुबह
के भूले
लौट कर
शाम को
घर
कहीं दुबारा
कहीं तिबारा
शर्मा शर्मी
बेशर्मी को
त्याग कर
लग गये हैं
जश्न जीत
हार के
मनाने में
कुछ लाये
जा रहे हैं
उधर
से इधर
कुछ भगाये
जा रहे हैं
इधर से
उधर
कुछ
समझदार
हैं बहुत
समझ
चुके हैं
भलाई है
घर छोड़
कर पड़ोसी
के घर को
चले जाने में
तिकड़में
उठा पटक
की हो
रही हैं
अंदर
और बाहर
की बराबर
दिख नहीं
रही हैं
कहीं भी
मगर
मुर्गा
झपट के
उस्ताद
हैं मुर्गे
ही नहीं
मुर्गियाँ भी
अब तो
साथ साथ
आते हैं
दिखते हैंं
डाले हाथ
में हाथ
एक से
बड़कर
एक
माहिर हो
चुके हैं
चूना
लगाने में
करना है
अधिकार
को अपना
प्रयोग
हर हाल में
लगे हैं कुछ
अखबार
नबीस भी
पब्लिक
को बात
समझाने में
डाल
पर बैठा
देखता
रहेगा
“उलूक”
तमाशा
इस बार
का भी
हमेशा
की तरह
उसे
पता है
चूहा
रख कर
खोदा जायेगा
पहाड़ इस
बार भी
निकलेगा
भी वही
क्या
जाता है
एक शेर
निकलने
की बात
तब तक
हवा में
फैलाने में।
शुरु हो
चुकी हैं
सजने
सवरने
कलगियाँ
मुर्गों की
रंग बिरंगी
मुर्गियाँ
भी
लगी है
बालों में
मेहंदी
लगाने में
आने ही
वाला जो
है त्योहार
अगले महीने
एक बार
फिर से
पाँच साला
चहल पहल
होना शुरु
हो चुकी है
सभी
मयखानो में
आ चुके
हैं वापिस
सुबह
के भूले
लौट कर
शाम को
घर
कहीं दुबारा
कहीं तिबारा
शर्मा शर्मी
बेशर्मी को
त्याग कर
लग गये हैं
जश्न जीत
हार के
मनाने में
कुछ लाये
जा रहे हैं
उधर
से इधर
कुछ भगाये
जा रहे हैं
इधर से
उधर
कुछ
समझदार
हैं बहुत
समझ
चुके हैं
भलाई है
घर छोड़
कर पड़ोसी
के घर को
चले जाने में
तिकड़में
उठा पटक
की हो
रही हैं
अंदर
और बाहर
की बराबर
दिख नहीं
रही हैं
कहीं भी
मगर
मुर्गा
झपट के
उस्ताद
हैं मुर्गे
ही नहीं
मुर्गियाँ भी
अब तो
साथ साथ
आते हैं
दिखते हैंं
डाले हाथ
में हाथ
एक से
बड़कर
एक
माहिर हो
चुके हैं
चूना
लगाने में
करना है
अधिकार
को अपना
प्रयोग
हर हाल में
लगे हैं कुछ
अखबार
नबीस भी
पब्लिक
को बात
समझाने में
डाल
पर बैठा
देखता
रहेगा
“उलूक”
तमाशा
इस बार
का भी
हमेशा
की तरह
उसे
पता है
चूहा
रख कर
खोदा जायेगा
पहाड़ इस
बार भी
निकलेगा
भी वही
क्या
जाता है
एक शेर
निकलने
की बात
तब तक
हवा में
फैलाने में।
वाकई , इंसानों का नाटक जबरदस्त है , जानवर भाग रहे हैं इसे देख कर दूर , बहुत दूर , डरे डरे से !
जवाब देंहटाएंपांच साला त्यौहार में गिरगिट भी नज़र आएँगे.आख़िर महा उत्सव जो ठहरा.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कटाक्ष किया है, बहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह
जवाब देंहटाएंउसे पता है
चूहा रख कर
खोदा जायेगा
पहाड़ इस बार भी
निकलेगा भी वही
क्या जाता है
एक शेर की बात
तब तक हवा
में फैलाने में ।
...सब इस महा कुम्भ में डुबकी लगा कर अपनी अपनी कुर्सी ढूँढने की कोशिश करेंगे...बहुत सुन्दर और सटीक कटाक्ष....