अब भी समय है
समझ क्यों नहीं लेता
समझ क्यों नहीं लेता
रोज देखता रोज सुनता है
तुझे यकीं क्यों नहीं होता
ये जमाना
निकल गया है बहुत ही आगे
निकल गया है बहुत ही आगे
तुझे ही रहना था बेशरम इतने पीछे
कहीं पिछली गली से ही कभी चुपचाप
कहीं को भी
निकल लिया होता
निकल लिया होता
बहुत बबाल करता है
यहाँ भी और वहाँ भी
तरह तरह की
तेरी शिकायतों के पुलिंदे में
यहाँ भी और वहाँ भी
तरह तरह की
तेरी शिकायतों के पुलिंदे में
कभी कोई छेद क्यों नहीं होता
सीखने वाले
हमेशा लगे होते हैं
सिखाने वालों के आगे पीछे
हमेशा लगे होते हैं
सिखाने वालों के आगे पीछे
कभी तो सोचा कर
तेरे से सीखने वाला कोई भी
तेरे आस पास क्यों नहीं होता
बहुत से अपने को
मानने लगे हैं अब सफेद कबूतर
सारे कौओं को पता है ये सब
काले कौओ के बीच में रहकर
काँव काँव करना
काँव काँव करना
बस एक तुझसे ही क्यों नहीं होता
पूँछ उठा के
देखने का जमाना ही नहीं रहा अब तो
देखने का जमाना ही नहीं रहा अब तो
एक तू ही पूँछ की बात हमेशा पूछता रहता है
जान कर भी
पूँछ हिलाना अब सामने सामने कहीं नहीं होता
पूँछ हिलाना अब सामने सामने कहीं नहीं होता
गालियाँ खा रहे हैं सरे आम सभी कुत्ते
सब को पता है
आदमी से बड़ा कुत्ता कहीं भी नहीं होता
आदमी से बड़ा कुत्ता कहीं भी नहीं होता
कभी तो सुन लिया कर दिल की भी कुछ "उलूक"
दिमाग में बहुत कुछ होने से कुछ नहीं होता ।
चित्र साभार: https://vector.me/
बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंदिमाग में बहुत कुछ
जवाब देंहटाएंहोने से कुछ नहीं होता ।
बहुत उम्दा ...!
RECENT POST - फिर से होली आई.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (13-03-2014) को "फिर से होली आई" चर्चा- 1550 "अद्यतन लिंक" पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
कड़वी पर सच्ची बात!!
जवाब देंहटाएं'दुखिया दास कबीर है जागे अरु रोवै.'
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार -
कल 14/03/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
पूँछ हिलाना
जवाब देंहटाएंअब सामने सामने
कहीं नहीं होता
गालियाँ खा रहे हैं
सरे आम सभी कुत्ते
आदमी से बड़ा कुत्ता
कहीं भी नहीं होता
कभी तो सुन
लिया कर दिल
की भी "उल्लूक"
दिमाग में बहुत कुछ
होने से कुछ नहीं होता ।
सुन्दर रचना। सादर।।
जवाब देंहटाएंनई कड़ियाँ : 25 साल का हुआ वर्ल्ड वाइड वेब (WWW)