भेड़ियों
के झुंड में
भेड़ हो चुके
कुछ
भेड़ियों के
मिमयाने की
मजबूरी को
कोई
व्यँग कह ले
या
उड़ा ले मजाक
अट्टहासों
के बीच में
तबले की
संगत जैसा ही
कुछ महसूस
फिर भी
जरूर करवायेंगे
सुने
ना सुने कोई
पर
रेहड़ में
एक दूसरे को
धक्का देते हुऐ
आगे बढ़ते हुऐ
भेड़ियों को
भी पता है
शेरों के
शिकार में से
बचे खुचे माँस
और
हड्डियों में
हिस्से बांट
होते समय
सभी
भेड़ों को
उनके अपने
अंदर के डर
अपने साथ
ले जायेंगे
पूँछे
खड़ी कर के
साथ साथ
एक दूसरे के
बदन से बदन
रगड़ते हुऐ
एक दूसरे का
हौसला बढ़ायेंगे
काफिले
की रखवाली करते
साथ चल रहे कुत्ते
अपनी
वफादारी
अपनी जिम्मेदारी
हमेशा
की तरह
ही निभायेंगे
बाहर की
ठंडी हवा को
बाहर की
ओर ही
दौड़ायेंगे
अंदर
हो रही
मिलावटों में
कभी
पहले भी
टाँग नहीं अढ़ाई
इस बार भी
क्यों अढ़ायेंगे
दरवाजे
हड्डियों के
खजाने के
खुलते ही
टूट पड़ेंगे
भेड़िये
एक दूसरे पर
नोचने
के लिये
एक दूसरे
की ताकत
को तौलते हुऐ
शेर को
लम्बी दौड़
के बाद की
थकावट को
दूर करने की
सलाह देकर
आराम करने का
मशविरा जरूर
दे कर आयेंगे
भेड़
हो चुके भेड़िये
वापस
अपने अपने
ठिकानो पर
लौट कर
शाँति पाठ
जैसा कुछ
करवाने
में जुट जायेंगे
पंचतंत्र
नहीं है
प्रजातंत्र है
इस
अंतर को
अभी
समझने में
कई
स्वतंत्रता
संग्राम
होते हुऐ
नजर आयेंगे ।
के झुंड में
भेड़ हो चुके
कुछ
भेड़ियों के
मिमयाने की
मजबूरी को
कोई
व्यँग कह ले
या
उड़ा ले मजाक
अट्टहासों
के बीच में
तबले की
संगत जैसा ही
कुछ महसूस
फिर भी
जरूर करवायेंगे
सुने
ना सुने कोई
पर
रेहड़ में
एक दूसरे को
धक्का देते हुऐ
आगे बढ़ते हुऐ
भेड़ियों को
भी पता है
शेरों के
शिकार में से
बचे खुचे माँस
और
हड्डियों में
हिस्से बांट
होते समय
सभी
भेड़ों को
उनके अपने
अंदर के डर
अपने साथ
ले जायेंगे
पूँछे
खड़ी कर के
साथ साथ
एक दूसरे के
बदन से बदन
रगड़ते हुऐ
एक दूसरे का
हौसला बढ़ायेंगे
काफिले
की रखवाली करते
साथ चल रहे कुत्ते
अपनी
वफादारी
अपनी जिम्मेदारी
हमेशा
की तरह
ही निभायेंगे
बाहर की
ठंडी हवा को
बाहर की
ओर ही
दौड़ायेंगे
अंदर
हो रही
मिलावटों में
कभी
पहले भी
टाँग नहीं अढ़ाई
इस बार भी
क्यों अढ़ायेंगे
दरवाजे
हड्डियों के
खजाने के
खुलते ही
टूट पड़ेंगे
भेड़िये
एक दूसरे पर
नोचने
के लिये
एक दूसरे
की ताकत
को तौलते हुऐ
शेर को
लम्बी दौड़
के बाद की
थकावट को
दूर करने की
सलाह देकर
आराम करने का
मशविरा जरूर
दे कर आयेंगे
भेड़
हो चुके भेड़िये
वापस
अपने अपने
ठिकानो पर
लौट कर
शाँति पाठ
जैसा कुछ
करवाने
में जुट जायेंगे
पंचतंत्र
नहीं है
प्रजातंत्र है
इस
अंतर को
अभी
समझने में
कई
स्वतंत्रता
संग्राम
होते हुऐ
नजर आयेंगे ।
सर , बेहतरीन लेखन धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंसुंदर मनोहर विचार बढ़िया है सरजी !
जवाब देंहटाएंपंचतंत्र नहीं है
जवाब देंहटाएंप्रजातंत्र है
इस अंतर को
अभी समझने में
कई स्वतंत्रता संग्राम
होते हुऐ नजर आयेंगे ।
सुंदर मनोहर विचार बढ़िया है सरजी !बहुत सटीक व्यंग्य है सरजी !
आपकी लिखी रचना बुधवार 09 अप्रेल 2014 को लिंक की जाएगी...............
जवाब देंहटाएंhttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर .__/\__
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