तुम को लगता होगा
कभी तुम पर लिखा हुआ होगा यहाँ पर शायद कुछ
उसे लगता होगा
हो सकता है उसके लिये ही कहा गया हो कुछ
पर समय पर लिखा गया कुछ भी
किसी पर भी नहीं लिखा होता है
जो हो रहा होता है उसे तो होना ही होता है
और तुम पर कुछ लिख लेने का साहस होने के लिये
अंदर से बहुत मजबूत होना होता है
चौराहे पर खड़े होकर खीजने वालों के लिये
चार रास्ते होते हुऐ भी कहीं रास्ता नहीं होता है
हर तरफ से लोग आते हैं और चले जाते हैं
सभी को अपनी मंजिलों का पता होता है
जिसे भटकना होता है
उसके लिये एक ही रास्ता बहुत होता है
ना कहीं मंजिल होती है
ना ही कोई ठिकाना होता है
आना और जाना
उसे भी आता है बहुत अच्छी तरह
जाना किस के लिये और कहाँ होता है
बस यही और यही पता नहीं होता है
बस यही और यही पता नहीं होता है
परसों गुजरा था इसी चौराहे से
आज फिर जाना होगा
आने वाले कल में भी
इसी रास्ते में कहीं ना कहीं ठिकाना होगा
सब दिखायेंगे
अपने अपने रास्ते
अपने अपने रास्ते
पर जिसे खोना होगा हमेशा की तरह
उसके आने जाने का रास्ता
इस बार भी
इस बार भी
पिछली बार की तरह ही
उनहीं गिने चुने निशानेबाजों के निशाने होगा
उनहीं गिने चुने निशानेबाजों के निशाने होगा
ऐसे में मत सोच लेना गलती से भी
कोई तुम पर या फिर उस पर लिख रहा होगा
कुछ ही दिन हैं बचे इंतजार कर 'उलूक'
हर चौराहे पर
सारा सब कुछ बहुत साफ साफ लिखा होगा ।
चित्र साभार: https://www.dreamstime.com/
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (06-04-2014) को "खामोशियों की सतह पर" (चर्चा मंच-1574) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चैत्र नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
कामना करता हूँ कि हमेशा हमारे देश में
परस्पर प्रेम और सौहार्द्र बना रहे।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सर बढ़िया प्रस्तुति , धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात...
जवाब देंहटाएंसमझ में तो आता है
थोड़ा जोर लगाना पड़ता है
और लग गया
तो समझो
समझ गई
आजकल घुटना
जरा कम काम करता है
बीमार है न
सादर
यहाँ तो घुटने ने भी
हटाएंघुटने टेक दिये कभी का
कह चुका है अब साफ साफ
नहीं रखेगा दिमाग
मेरा या किसी का :)
बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना...
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