चुनावी बसंतों की
ताजिंदगी
रही है भरमार
जीवन को तो
चलना ही है
इस प्रकार
या उस प्रकार
वोट कभी दे
कर के आया
एक दो बार
नाम वोटर लिस्ट
से गायब
हुआ भी पाया
सीटियाँ बजाते हुऐ
लौट उस बार आया
कभी इसकी बनी
और कभी उसकी बनी
अपने देश की सरकार
अपना मौका मगर
अभी तक भी
नहीं आ पाया
शायद ऊपर वाला
बना ही रहा हो
बस मेरी और
केवल मेरी
सरकार इस बार
हैड और टेल ने
पहले भी बहुत
बार है छकाया
सिक्का उछ्ल चुका है
आसमान की ओर
ताकत लगा कर
ही गया है उड़ाया
इधर गिराने को
इसने जोर
है लगाया
उधर गिराने को
उस ने है एक
पँखा चलवाया
लग रहा है देखेंगे
लोग कुछ ऐसा
जैसा इस बार
जैसा पहले कभी
भी नहीं हो पाया
सिक्का होने वाला
है खड़ा जमीन
पर आकर
बता गया है
कान में
धीरे से कोई
आकर फुसफुसाया
उसे मिल
गया था घोड़ा
जब उसकी
बनी थी सरकार
इसकी बार
इसको मिली थी
लाल बत्ती लगी
हुई एक कार
झंडे टोपी वाले
हर चुनाव में
वहीं दिखे
आगे पीछे ही
लगे डौलते हर बार
किस्मत अपनी
चमकने का
उनको भी
हो रहा है
बड़ी बेसब्री
से इंतजार
इसी बार बनेगी
जरूर बनेगी उनकी
अपनी सी सरकार
दूल्हा जायेगा
लम्बे समय को
दिल्ली की दरबार
खास ज्यादा
नहीं होते हैं
बस होते हैं
दो चार
उनके हाथ में
आ ही जायेगा
कोई ना
कोई कारोबार
झंडे टोपी वाले
संतोषी होते हैं
खुश होंगे जैसे
होते हैं हर बार
सपने देखेंगे
खरीदेंगे बेचेंगे
इस बार नहीं
तो अगली बार
कोई रोक नहीं
कोई टोक नहीं
जब होता है
अपने पास
अपना ही एक
सपनों का व्यापार ।
ताजिंदगी
रही है भरमार
जीवन को तो
चलना ही है
इस प्रकार
या उस प्रकार
वोट कभी दे
कर के आया
एक दो बार
नाम वोटर लिस्ट
से गायब
हुआ भी पाया
सीटियाँ बजाते हुऐ
लौट उस बार आया
कभी इसकी बनी
और कभी उसकी बनी
अपने देश की सरकार
अपना मौका मगर
अभी तक भी
नहीं आ पाया
शायद ऊपर वाला
बना ही रहा हो
बस मेरी और
केवल मेरी
सरकार इस बार
हैड और टेल ने
पहले भी बहुत
बार है छकाया
सिक्का उछ्ल चुका है
आसमान की ओर
ताकत लगा कर
ही गया है उड़ाया
इधर गिराने को
इसने जोर
है लगाया
उधर गिराने को
उस ने है एक
पँखा चलवाया
लग रहा है देखेंगे
लोग कुछ ऐसा
जैसा इस बार
जैसा पहले कभी
भी नहीं हो पाया
सिक्का होने वाला
है खड़ा जमीन
पर आकर
बता गया है
कान में
धीरे से कोई
आकर फुसफुसाया
उसे मिल
गया था घोड़ा
जब उसकी
बनी थी सरकार
इसकी बार
इसको मिली थी
लाल बत्ती लगी
हुई एक कार
झंडे टोपी वाले
हर चुनाव में
वहीं दिखे
आगे पीछे ही
लगे डौलते हर बार
किस्मत अपनी
चमकने का
उनको भी
हो रहा है
बड़ी बेसब्री
से इंतजार
इसी बार बनेगी
जरूर बनेगी उनकी
अपनी सी सरकार
दूल्हा जायेगा
लम्बे समय को
दिल्ली की दरबार
खास ज्यादा
नहीं होते हैं
बस होते हैं
दो चार
उनके हाथ में
आ ही जायेगा
कोई ना
कोई कारोबार
झंडे टोपी वाले
संतोषी होते हैं
खुश होंगे जैसे
होते हैं हर बार
सपने देखेंगे
खरीदेंगे बेचेंगे
इस बार नहीं
तो अगली बार
कोई रोक नहीं
कोई टोक नहीं
जब होता है
अपने पास
अपना ही एक
सपनों का व्यापार ।
बढ़िया सर , धन्यवाद ! :)
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
करीने से बांधा है भावों को ,
जवाब देंहटाएंजन-उद्गारों को ,
सपनों के सौदागरों को आइना दिखलाया है ,
फिर एक नया दूल्हा आया है ,
सपने वही पुराने लाया है।
सपने देखेंगे
जवाब देंहटाएंखरीदेंगे बेचेंगे
इस बार नहीं
तो अगली बार
कोई रोक नहीं
कोई टोक नहीं
जब होता है
अपने पास
अपना ही एक
सपनों का व्यापार ..... बढ़िया......
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (25-04-2014) को I"चल रास्ते बदल लें " (चर्चा मंच-1593) में अद्यतन लिंक पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंहर बार यह तमाशा होता है, हर बार सुनते अबकी बार अच्छी सरकार. सबको देखा परखा... कोई ऐसे कोई वैसे सब एक ही राह के मुसाफिर. अच्छी सरकार से ज्यादा एक दुसरे को नीचे दिखाने का होड़ ज्यादा. सुन्दर लेखन, बधाई.
जवाब देंहटाएंवाह लाजवाब...यथार्थपूर्ण रचना जिसमे थोड़ी पीड़ा थोडा गुस्सा थोडा व्यंग..
जवाब देंहटाएंव्यवस्था से उपजा आक्रोश ... व्यंग्य में ढला हुआ ... बहुत उम्दा!
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर खूबसूरत कथ्य...
जवाब देंहटाएंचुनावी बसंतों की
जवाब देंहटाएंताजिंदगी
रही है भरमार
जीवन को तो
चलना ही है
इस प्रकार
या उस प्रकार
बेहतरीन प्रस्तुति।
अब बदलाव होगा तब बदलाव होगा
जवाब देंहटाएंबस प्रजा छली जाती है
बार बार, बहुत सार्थक !
कैक्टस सी ज़िंदगी कैक्टस प्यार
जवाब देंहटाएंकर लो भाई व्यापार
सुन्दर रचना है भाई साहब।