थोड़ा
कुछ लिखना
थोड़ा
कुछ बनाना
हो जाता है अब
अपने लिये ही
आफत
को बुलाना
देखने में तो
बहुत कुछ
होता हुआ
हर किसी को
नजर आता है
उस होते हुऎ पर
बहुत ऊल जलूल
विचार भी आता है
कोशिश
करके बहुत
अपने को
रोका जाता है
सब कुछ
ना कह कर
थोड़ा सा
इशारे के
लिये ही तो
कहा जाता है
यही थोड़ा
सा कहना
और बनाना
अब देशद्रोह
हो जाता है
करने वाला
ऊपर से
झंडा एक
फहराता है
डंडे के जोर पर
जो मन में आये
कर ले जाता है
करने वाले से
कुछ बोल पाने
की हिम्मत
कोई नहीं
कर पाता है
क्योंकी
ऎसा करना
सम्मान से करना
कहा जाता है
लिखने बनाने
वाले पर
हर कोई बोलना
शुरू हो जाता है
सारा कानून
जिंदा
उसी के लिये
हो जाता है
अंदर कर
दिये जाने को
सही ठहराने के लिये
अपनी विद्वता
प्रदर्शित करने
का यह मौका
कोई नहीं
गंवाता है
अंधेर नगरी
चौपट राजा
की कहावत
का मतलब
अब जा कर
अच्छी तरह
समझ में
आ जाता है ।
कुछ लिखना
थोड़ा
कुछ बनाना
हो जाता है अब
अपने लिये ही
आफत
को बुलाना
देखने में तो
बहुत कुछ
होता हुआ
हर किसी को
नजर आता है
उस होते हुऎ पर
बहुत ऊल जलूल
विचार भी आता है
कोशिश
करके बहुत
अपने को
रोका जाता है
सब कुछ
ना कह कर
थोड़ा सा
इशारे के
लिये ही तो
कहा जाता है
यही थोड़ा
सा कहना
और बनाना
अब देशद्रोह
हो जाता है
करने वाला
ऊपर से
झंडा एक
फहराता है
डंडे के जोर पर
जो मन में आये
कर ले जाता है
करने वाले से
कुछ बोल पाने
की हिम्मत
कोई नहीं
कर पाता है
क्योंकी
ऎसा करना
सम्मान से करना
कहा जाता है
लिखने बनाने
वाले पर
हर कोई बोलना
शुरू हो जाता है
सारा कानून
जिंदा
उसी के लिये
हो जाता है
अंदर कर
दिये जाने को
सही ठहराने के लिये
अपनी विद्वता
प्रदर्शित करने
का यह मौका
कोई नहीं
गंवाता है
अंधेर नगरी
चौपट राजा
की कहावत
का मतलब
अब जा कर
अच्छी तरह
समझ में
आ जाता है ।
शुक्र है न्याय विभाग में ये कहावत नही है
जवाब देंहटाएंसटीक व्यंग..बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "मुखरित मौन में" शनिवार 13 अप्रैल 2019 को साझा की गई है......... https://mannkepaankhi.blogspot.com/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना 👌
जवाब देंहटाएंवाह.....लाजवाब !
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