घरवाली
की आँखें
एक अच्छे
डाक्टर को
दिखलाते हैं
काला चश्मा
एक बनवा के
तुरंत दिलवाते हँ
रात को भी
जरूरी है
पहनना
एक्स्ट्रा
पैसे देकर
परचे में
लिखवाते हैं
दिखती हैं
कहीं भी
दो सुंदर
सी आँखें
बिना
सोचे समझे ही
कूद जाते हैं
तैराक होते हैं
पर तैरते नहीं
बस डूब जाते हैं
मरे हुऎ
लेकिन कहीं
नजर नहीं आते हैं
आयी हैं
शहर में
कुछ
नई आँखे
खबर पाते ही
गजब के
ऎसे कुछ
कलाकार
कूदने
की तैयारी
करते हुऎ
फिर
से हाजिर
हो जाते हैं
हम
बस यही
समझ पाते हैं
अच्छे
पिता जी
अपने बच्चों को
तैरना
क्यों नहीं
सिखाते हैं ।
की आँखें
एक अच्छे
डाक्टर को
दिखलाते हैं
काला चश्मा
एक बनवा के
तुरंत दिलवाते हँ
रात को भी
जरूरी है
पहनना
एक्स्ट्रा
पैसे देकर
परचे में
लिखवाते हैं
दिखती हैं
कहीं भी
दो सुंदर
सी आँखें
बिना
सोचे समझे ही
कूद जाते हैं
तैराक होते हैं
पर तैरते नहीं
बस डूब जाते हैं
मरे हुऎ
लेकिन कहीं
नजर नहीं आते हैं
आयी हैं
शहर में
कुछ
नई आँखे
खबर पाते ही
गजब के
ऎसे कुछ
कलाकार
कूदने
की तैयारी
करते हुऎ
फिर
से हाजिर
हो जाते हैं
हम
बस यही
समझ पाते हैं
अच्छे
पिता जी
अपने बच्चों को
तैरना
क्यों नहीं
सिखाते हैं ।
VAH VAH SHUSHIL JI,BDA KARARA PRAHAR KIYA HAI AAPNE,
जवाब देंहटाएंरोचक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंहा हा हा..
जवाब देंहटाएंपिताजी गंगा में तैरना सिखाते हैं
बच्चे नाली में कूद जाते हैं।
कलियुगी बच्चे
शैतान नज़र आते हैं।:)
पिता जानते हैं
जवाब देंहटाएंआंखों की सुंदरता
और,झील की गहराई भी
उन्हें पता है यह भी
कौन रोका है कब किसी के रोके!
सच कहा आपने जो समझते हैं हमें तैरना आता है जरुरी नहीं की वे हर जगह तैरकर पार पा ले ..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सार्थक प्रस्तुति
manoranjak.....
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